भारत में अनाथ आश्रम कैसे खोले? How to Start an orphanage in India

अनाथ आश्रम कैसे शुरू करें? सम्पूर्ण जानकारी | Anath Ashram Kaise Shuru Kare:

ऐसे बच्चे जिनके माता पिता की मृत्यु हो गई हो या फिर किसी कारणवश किसी बच्चे को उसके माता पिता ने त्याग कर दिया हो, जिनकी जिम्मेदारी लेने कोई रिश्ते नाते वाले नहीं आते ऐसे बच्चे *अनाथ* कहलाते हैं 

माता-पिता की अनुपस्थिति में इन बच्चों की सारी आवश्यकताओं जैसे कि भरण- पोषण,शिक्षा इत्यादि की व्यवस्था जिस संस्था के अंतर्गत होती है उसे Anath Ashram कहते हैं ।

अनाथ आश्रम में अनाथ बच्चों के साथ-साथ वृद्ध लोगों के संग महिलाओं को भी आश्रय दिया जाता है। ऐसी बहुत सी बच्ची होते हैं जिनका कोई नहीं होता और वह बहुत तकलीफ में अभाव में होते हैं l जिनकी जिम्मेदारी कोई नहीं लेता उनके लिए अनाथ आश्रम एक बहुत अच्छा विकल्प है l जहां अनाथ आश्रम में ऐसे लोगों की रहने खाने-पीने की सारी व्यवस्था होती है।

अनाथ आश्रम में बच्चों को उचित शिक्षा वृद्ध लोगों को और महिलाओं को उनके जीवन यापन के लिए रोजगार दिया जाता है। रोजगार से होने वाली आमदनी से उन्हीं के कार्यों में सहायता प्राप्त होती है।

अनाथ आश्रम में अनाथ लोगों को रहने के लिए सारी सुविधाएं दी जाती है ताकि उन्हें ऐसा ना लगे कि वह अनाथ है और उनके पीछे उनका एक ही मकसद होता है कि वह बच्चों को लिखाई पढ़ाई में सुविधा प्रदान कर ऐसा बना सके कि समाज में उनका खुद का कोई स्थान हो, तथा उनका एक सिर्फ यही उद्देश्य होता है कि वह सामाजिक क्षेत्र में अपना योगदान दे सकें। 

भारत जनसंख्या की दृष्टि में विश्व में दूसरे स्थान पर आता है अतः यहां  प्रतिदिन एक नहीं कई बच्चे अनाथ होते हैं। किसी बच्चे के माता पिता की मृत्यु हो जाती है या फिर आर्थिक कमी या सामाजिक मर्यादा के डर से कुछ लोग अपने बच्चों का परित्याग कर देते हैं। इनका कोई अपना नहीं होता, इन्हीं बच्चों को आश्रय प्रदान करने के लिए कुछ समाज के धनी व्यक्ति तथा सरकार के सहयोग से अनाथ आश्रम खोले जाते हैं। यह एक प्रकार का नेकी का भी काम है।

अनाथ आश्रम खोलना आसान काम नहीं है। अनाथ आश्रम खोलने के लिए व्यक्ति का जिम्मेदार होना अति आवश्यक है। क्योंकि इसे प्रारंभ करने के लिए लाइसेंस तथा रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है। यदि इसे किसी स्थापित ट्रस्ट का सहयोग मिल जाए तो यह काम आसानी से हो जाता है।

अनाथ आश्रम खोलने के लिए फंड का प्रबंध करना होता है, नित्य कार्यों की निगरानी करनी होती है, बच्चों के अनुशासन व विकास की निगरानी करना पड़ता है, क्योंकि यह काम धर्म से जुड़ा माना जाता है अतः समाज के संपन्न व्यक्ति का साथ इस में आसानी से मिल जाता है।

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अनाथ आश्रम खोलने के लिए क्या करना होगा? How to open an orphanage in India

अनाथ आश्रम की शुरुआत के लिए निम्न चीजों का चुनाव करना पड़ता है।

1) जगह का चुनाव

अनाथ आश्रम की शुरुआत करने के लिए सर्वप्रथम सही जगह के चुनाव करना अति आवश्यक है। जगह ऐसी होनी चाहिए जहां का वातावरण शांत हो ताकि बच्चे वहां आराम से बिना किसी असुविधा से रह सके।यदि अनाथ आश्रम प्रारंभ करने वाले व्यक्ति के पास स्वयं की जमीन नहीं उपलब्ध है तो वह ऐसे जमीन का चुनाव करना चाहता है जहां अगर एक बार सभी चीजों की व्यवस्था अर्थात रहने, खाने-पीने की व्यवस्था हो जाए तो उसे बार-बार परिवर्तित ना करना पड़े। ऐसी स्थिति में एक ही उपाय है, ऐसी जमीन जो कम से कम 10 से 12 सालों के लिए लीज पर प्राप्त हो सके। और जैसे ही लीज समाप्त हो जाए वह अपने अनाथ आश्रम को अपने जमीन पर ही ट्रांसफर कर दे।

2) अनाथ आश्रम का नाम रखें

अनाथ आश्रम को अपने राज्य और केंद्रीय सरकार के अंतर्गत पंजीकृत करवाने के लिए आश्रम का नाम रखना बहुत जरूरी है। जब तक आप अपने आश्रम को कोई नाम नहीं देंगे तब तक कोई भी बैंक खाता तथा पैन कार्ड आप आश्रम के नाम पर नहीं खुलवा पाएंगे। बिना बैंक खाता तथा पैन कार्ड के आश्रम को डोनेशन मिलने की संभावना ना के बराबर होगी। आश्रम का नाम कोई आसान सा होना चाहिए ताकि आगे की सारी प्रक्रिया भी आसानी से संभव हो सके।

3) नियम कानून का पालन

वैसे तो हर संस्था के अपने-अपने नियम कानून होते हैं, जिनका पालन करना वहां के लोगों के लिए अति आवश्यक होता है। ठीक इसी प्रकार अनाथ आश्रम के भी कुछ नियम और कानून होते हैं, इसके अंतर्गत सभी अनाथ आश्रम का *केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन एक्ट* के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है। इसके लिए आश्रम के मालिक जिला समाज अधिकारी से सलाह ले सकते हैं। साथ ही साथ आश्रम के पदाधिकारी को बच्चे को गोद लेने के नियमों, गार्जियन और कस्टडी के नियमों, शिक्षा अधिनियम पालन नियमों की जानकारी अति आवश्यक है।

4) अनाथ आश्रम के नाम पर बैंक खाता तथा पैन कार्ड खुलवाएं 

कई बार धर्म के नाम का सहारा लेकर कई व्यक्ति अनाथ आश्रम के मालिक को दान ना देकर उस संस्था को दान देना चाहते हैं। अतः अनाथ आश्रम के मालिक को संस्था के नाम का पैन कार्ड व बैंक खाता खुलवाना  चाहिए ताकि दान सीधे संस्था के खाते में आ सके। इसके लिए सर्वप्रथम  

5) टैक्स रियायत प्रमाण पत्र

अनाथ आश्रम को खोलना यह एक धर्म से जुड़ा तथा सामाजिक हित से जुड़ा हुआ काम माना जाता है। सरकार भी ऐसे कामों के लिए लोगों को प्रोत्साहित करती रहती है। ऐसी परिस्थिति में सरकार उन्हें एक कर माफी के प्रमाण पत्र की सुविधा प्रदान करती है। यह सुविधा उन लोगों को भी प्राप्त होती है जो अनाथ आश्रम जैसी संस्थाओं को डोनेशन देते हैं। ऐसी परिस्थिति में अनाथ आश्रम का मालिक कर माफी के प्रमाण पत्र की सरकार से ज्यादा से ज्यादा मांग करता है ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा लोग इसी प्रलोभन में दान दे सके, तथा टेक्स के माफी का लाभ प्राप्त कर सके।

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6) FCRA रजिस्ट्रेशन

FCRA का फुल फॉर्म है *Foreign Contribution Regulation Act* यह रजिस्ट्रेशन गृह मंत्रालय के अंतर्गत संभव है। यदि कोई अनाथ आश्रम यह चाहत रखता है कि उसके अनाथ आश्रम को विदेशों से भी फंड की प्राप्ति हो सके उसके लिए उसे इसका रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है। इस अधिनियम के अंतर्गत जब अनाथ आश्रम FCRA रजिस्ट्रेशन करवा लेता है तो वह विदेशों से भी फंड प्राप्त करने योग्य हो जाता है।

7) धन की व्यवस्था

अनाथ आश्रम खोलने के लिए काफी पैसे की आवश्यकता होती है बिना फंड के कोई भी अनाथ आश्रम खोला नहीं जा सकता। इतनी बड़ी संस्था को चलाने के लिए आश्रम के मालिक की निजी संपत्ति कम पड़ जाती है। अनाथ आश्रम को चलाने के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड की आवश्यकता होती है। फंड के लिए अनाथ आश्रम का प्रचार प्रसार करना चाहिए तथा लोगों को यह बताएं कि आप अनाथ आश्रम खोल रहे हैं

जिसमें आप बच्चों को कौन-कौन सी सुविधा देंगे और कैसे बच्चों का विकास करेंगे। जितना ज्यादा अनाथ आश्रम का प्रचार और प्रसार होगा उतना ही ज्यादा फंड मिलने की संभावना होगी। जैसे-जैसे अनाथ आश्रम का विकास होता जाता है उसे और धन की आवश्यकता पड़ती जाती है । इसके लिए कई बार वह सरकारी संगठन से भी सहायता प्राप्त करता है तो कई बार बैंक से ऋण भी लेता है। इसके लिए आश्रम कई प्रकार के प्रोजेक्ट तैयार करके रखता है जिसे समय आने पर वह बैंक में जमा कर ऋण प्राप्त कर सके।

8) सामाजिक दायरा बढ़ाना

अनाथ आश्रम के मालिक कई राजनैतिक पार्टियों तथा बड़े-बड़े लोगों के बीच अपनी सम्बन्ध बना कर रखते हैं, ताकि जैसे ही कोई सरकारी योजना आए उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। साथ ही साथ अनाथ आश्रम के मालिक पुलिस विभाग,पत्रकार , मानव अधिकार कार्यकर्ता तथा सामाजिक संगठनों से भी अपनी पहचान बना कर रखते हैं।

ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की कोई भी परेशानी आए तो वह इन्हें सही दिशा दिखा सके। कई बार किसी अनाथ बच्चे को उनके रिश्ते नाते वाले, पुलिस विभाग वाले,मानवाधिकार कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, विधायक, इत्यादि छोड़ जाए तो मालिक का सर्वप्रथम कार्य है कि बच्चे को डिस्टिक मजिस्ट्रेट तथा सामाजिक कार्यकर्ता के लिखित परमिशन के बिना अपने आश्रम में रखने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

9) स्टाफ की नियुक्ति

किसी भी अनाथ आश्रम को प्रारंभ करने के लिए सहयोगी की आवश्यकता सर्वप्रथम पड़ती है। तथा किसी भी अनाथ आश्रम के लिए सस्ते तथा विश्वसनीय सहयोगी का मिलना काफी कठिन काम है। परंतु किसी भी संस्था को एक व्यक्ति अपने बल पर नहीं चला सकता।

अतः अनाथ आश्रम के लिए कम से कम एक रसोईया, छोटे बच्चों को संभालने के लिए दाई तथा काम करने के लिए हाउसकीपिंग स्टाफ की आवश्यकता अति आवश्यक है। हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिस भी व्यक्ति को हम अपने आश्रम के लिए हायर करें, उसमें समर्पण के साथ साथ वाह बच्चों का भी बखूबी ध्यान रख सके।

दाई हमेशा महिला ही हो क्योंकि उन्हें छोटे बच्चों को संभालने का अच्छा अनुभव होता है। बच्चों को पढ़ाने के लिए एक टीचर का भी होना अति आवश्यक है तथा सभी बच्चों को एक कमरे में ही पढ़ने की सुविधा दें। तथा साथ ही साथ कभी आश्रम किसी भी कानूनी दांवपेच में ना फंस जाए इसके लिए एक वकील तथा बहीखाता के हिसाब के लिए एक अकाउंटेंट का होना अति आवश्यक है।

निष्कर्ष :

भारत में अगर किसी भी व्यक्ति को अनाथ आश्रम खोलने की चाहत है तो उसे सर्वप्रथम निम्न चीजों पर विशेष ध्यान देना होगा।

समाज में बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिनका कोई नहीं होता वह सड़क पर या इधर-उधर घूमते रहते हैं भीख मांग कर अपना पेट भरते हैं। यदि आप उन्हें देखें और उन्हें अनाथ आश्रम भेजना चाहे, तथा साथ ही एक उन्हें अच्छी जीवन भी प्रदान करना चाहे तो आपको कुछ भी खास नहीं करना होगा। बस आपको अनाथ आश्रम जाकर कुछ प्रक्रिया को पूरा करते हुए उन्हें अनाथ आश्रम में भर्ती करा देना है ताकि उन्हें एक अच्छा भविष्य मिले तथा आप भी एक पुण्य का काम कर सके।

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