भारत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे खोले? Private Limited Company Kaise Khole

मानव हमेशा से ही अपनी कौशल और समझ के कारणों से अपना अस्तित्व बनाने में कामयाब रहा है, वर्तमान में भी अपनी जरूरतों व कौशलों को निखारने व उसके बदौलत अपना करियर बनाने में लगा रहता है, आज खुद की पहचान, अस्तित्व  और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में कंपनी द्वारा कोई बिजनेस एक बहुत अच्छा विकल्प बन गया है, आज इस होड में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भी अहम भूमिका निभा रही है।

आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं भारत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे खोलें | How to Start a Private Limited Company in India) आजकल हर इंसान यही चाहता है कि वो खुद की कंपनी खोलकर पैसा कमाए। लेकिन किसी भी कंपनी को खोलने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है।

हर देश में Private Limited Company खोलने के अलग-अलग नियम होते हैं। हमारे देश भारत में भी अगर कोई व्यक्ति अपना बिजनेस शुरू करने के लिए प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलना चाहता है तो उसे कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। इसलिए आजकल बिजनेस और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने में लोगों के बीच में एक होड़ सी लगी हुई है। पर Successful केवल वही लोग होते हैं जो सभी नियम और जरूरी बातों का ध्यान रखते हुए अपने Business की शुरुआत करते हैं। ‌ 

अगर आप भी भारत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलना चाहते हैं तो हमारे आज के इस आर्टिकल को सारा पढ़ें। इसमें हम आपको बताएंगे Private Limited Company से जुड़ी हुई बहुत सी अहम जानकारी। चलिए आज हम सब प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से जुड़ी जानकारी के विषय में चर्चा करेंगे।

Table of Contents

प्राइवेट लिमिटेड के अर्थ क्या है?

प्राइवेट लिमिटेड में प्राइवेट का अर्थ = (निजी) लिमिटेड का अर्थ = (सीमा में)

अर्थात एक सीमा में रहकर निजी तौर पर काम करना या यहां पर प्राइवेट लिमिटेड बिज़नेस के sense में कहा जा रहा है। इस तरह से एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में केवल एक सीमा में रहकर ही कोई काम या बिजनेस किया जा सकता है। जब भी कोई व्यक्ति अपनी private limited company को शुरू करता है तो उसे पहले से ही यह पता कर लेना चाहिए कि उसकी काम करने की सीमाएं क्या है। 

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या है?

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी उसे कहते जो Companies Act, 1956 या 2013, के तहत Registrar of Companies (ROC) में रजिस्टर किया गया हो। इस प्रकार की बिजनेस संस्था की ओनरशिप privately held की हुई होती है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी निजी स्वामित्व वाली कंपनी होती है, जो निजी तौर पर कंपनी द्वारा बिजनेस को चलाती है, ये कंपनियां कानूनी नियम के अंतर्गत होती है, व कुछ नियम व assets पर कार्य करती है।

इन कंपनियों के अलग कानूनी स्थायित्व होते है। इन कंपनियों में न्यूनतम 2 डायरेक्टर व अधिकतम 200 एम्प्लोयी हो सकते है।जो भी कंपनी ऐसे कैरेक्टर रखती है, वो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अंतर्गत आती है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अपने शेयर्स को फ्रीली पब्लिक में ट्रेड नहीं कर सकती मतलब की इनके शेयर्स स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट नहीं होते है। जब कंपनी रजिस्टर हो जाता है तो इसे Incorporation कहते है और ROC के तरफ से एक Certificate of Incorporation (COI) इशू किया जाता है।

कंपनी को एक CIN (Corporate Identity Number) नंबर इशू किया जाता है जो 21 डिटिस का होता है और ये लेटर्स और नंबर्स का कॉम्बिनेशन होता है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरू करने के नियम क्या होते है?

किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कुछ खास नियम होते हैं, जिनका पालन करते हुए ये कंपनियां काम करती है। इसलिए वह लोग जो अपनी खुद की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरू करने का सोच रहे हैं तो उन्हें प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नियम पता होने चाहिएं। 

कंपनी एक्ट 2013 के अंतर्गत प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए नियम मुख्य है-

1. डायरेक्टर

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए न्यूनतम 2 डायरेक्टर होना चाहिए, और इन दो डायरेक्टर में से कोई एक भारत का नागरिक होना जरूरी होता है। जब आप अपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलें तो इस बात को सुनिश्चित करने की 2 डायरेक्टर में से एक इंडियन होना चाहिए। 

2. Auditor नियुक्ति

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए कम से कम एक CA जरूर नियुक्त करना चाहिए, जो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नियमों के अंतर्गत जरूरी है।

3. कैपिटल या लागत

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कैपिटल को तय करने का अधिकार केवल मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर का होता है, इसमें paid up की न्यूनतम share capital 1 लाख करनी होती है।

4. कंपनी का नाम

किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का नाम unique, lawful (यानी कोई ऐसे वर्ड का इस्तेमाल न हो जो सही न हो कानूनी तौर पर), natural (जिस काम को करने के लिए हो उसका इस्तेमाल), प्राइवेट लिमिटेड के इस्तेमाल के साथ हो।

5. जगह/ स्थान (Location)

किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए एक जगह या लोकेशन होना जरूरी है, जहा उसका ऑथेंटिक रूप से address हो, व उस जगह के द्वारा दस्तावेजों की आदान प्रदान की जा सके। ये location रेंट पर, लीज पर, या खुद की हो सकती है, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए इस जगह का valid proof के लिए दस्तावेज होने जरूरी है।

6. दस्तावेज (डॉक्यूमेंटेशन)

किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए जरूरी दस्तावेजों का होना बहुत आवश्यक होता है। इस कंपनी के लिए मुख्यतः दो तरह के डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत होती है-

  • MoA  (Memorandum of article) MoA के अंतर्गत कंपनी प्रोफाइल होती है।
  • AoA  (Association of article) AoA के अंतर्गत कंपनी के internal rule, assets बताये जाते है।

7. सीमाएं (Limits)

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए न्यूनतम 2 डायरेक्टर होने जरूरी है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए अधिकतम 200 एम्प्लोयी रख सकते है।

8. अवरोध (prohibition)

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में शेयर को पब्लिक में issue नही कर सकते है।

9. Key managerial personal 

अगर आपके paid up share capital 5 करोड़ या उससे ऊपर हो, तो कंपनी को लगभग 6 नियुक्ति तुरंत करनी पड़ती है।

इन मुख्य नियुक्ति में हो सकते है-

  • CEO (Chief executive officer)
  • MD (Managing Director)
  • WTD (Whole time director)
  • CS (Company Secretary)
  • CFO (Chief Financial Officer)
  • Manager

ये मुख्य नियुक्ति की जाती है।

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पब्लिक लिमिटेड कंपनी और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में अंतर क्या है

कुछ लोगों को इस बात में कन्फ्यूजन रहती है कि पब्लिक लिमिटेड कंपनी और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में क्या अंतर होता है। यहां हम आपको वो महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं जिनकी वजह से ये दोनों कंपनियां एक दूसरे से अलग होती हैं। प्राइवेट लिमिटेड और पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मुख्य रूप से जो अंतर होते हैं वे इस प्रकार से हैं – 

1. पब्लिक लिमिटेड कंपनी

  • पब्लिक लिमिटेड कंपनी के लिए डायरेक्टर न्यूनतम 7 हो सकते है, एम्प्लोयी 500, 1000 या इससे ज्यादा भी रख सकते है।
  • पब्लिक लिमिटेड कंपनी के शेयर पब्लिक में शेयर कर सकते है।
  • पब्लिक लिमिटेड कंपनी के वेतनमान नियम गवर्नमेंट की अनुसार तय किये जाते है।
  • पब्लिक लिमिटेड कंपनी के assets, company profile पूरी तरह से कंपनी से जुड़ी सभी details जैसे-कितनी लागत लगी, क्या क्या assets  है, व वेतन, डायरेक्टर, एम्प्लोयी की नाम, details, सब पब्लिक को शो किये जा सकते है।

2. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी

  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए डायरेक्टर न्यूनतम 2, व एम्प्लोयी अधिकतम 200 तय है।
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के शेयर पब्लिक में शेयर नही किये जा सकते है।
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के वेतनमान गवर्नमेंट द्वारा तय नही किये जाते  है।
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रोफाइल, assets, सभी एम्प्लोयी, डायरेक्टर नाम, व सब details पब्लिक में शो नही किये जाते है।
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अपने legal entity  होती है।

ये मुख्य अंतर इन दोनों कंपनियों को एक दूसरे से अलग करते है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे शुरू करें? How to Open a Private Limited Company in India

Private Limited Company Kaise Khole in Hindi

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को खोलने के लिए उनके नियम के अनुसार कंपनी को खोल सकते है। अगर आप अपनी कंपनी को नियम के अनुसार खोलेंगे तो आपको भविष्य में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के मुख्य स्टेप्स-

1. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए सही ऑथेंटिक लोकेशन का तय करना

(लोकेशन का तय होना जरूरी होता है, क्योंकि आप पब्लिक से किस एड्रेस के द्वारा जुड़ेंगे, व लेटर dispatch के लिए, कांटेक्ट कर सकेंगे, मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर में कंपनी के लिए रजिस्टर करने के लिए ये एड्रेस होना बहुत जरूरी है)।

2. कंपनी के लिए दो डायरेक्टर का चयन करना

जिसमे एक इंडियन हो, व डायरेक्टर के पास अपना Director Identification Number (DIN) नम्बर होता है, जो मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर द्वारा दिया जाता है।

3. कंपनी के नाम का चुनाव करना

(नाम ऐसा हो जो यूनिक, law के अंतर्गत हो, व आपके काम को शो करता हो, जैसे main name, activity name, private limited इसमें जुड़ा हुआ होना चाहिए), नाम में लगभग 6 नाम भेजना होता है, जिसमे से कोई एक सेलेक्ट होता है, जो पहले से मौजूद न हो व लॉ के अंतर्गत हो)।

4. कंपनी को चलाने के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बनवाना

(डिजिटल तौर पर कंपनी के मान्यता को दिखाने व डिजिटल तौर पर काम करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर द्वारा डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट को बनवाया जाता है, यह डिजिटल प्रूफ ऑफ identity होती है)।

5. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए जरूरी दस्तावेज बनवाना

  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को खोलने के लिए जरूरी दस्तावेज बनवाने होते है, जिसमे pan card, bank account, address proof, passport, ration card, voter ID, driving, licence में से कोई भी एक दिखाना जरूरी होता है।
  • आवास प्रमाण के लिए- इलेक्ट्रिसिटी बिल, बैंक स्टेटमेंट को दिखा सकते है।
  • जगह के लिए ओनर से NOC, व जगह से related एग्रीमेंट, sell deed आदि दस्तावेज प्रूफ के तौर पर होने जरूरी है।
  • SPICE (simplified proforma for incorporating company electronically) दिया गया है, जिसको करके मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट ऑफर से डायरेक्टर identification नम्बर, reservation of company name, incorporation of a new company, application for PAN and TAN ) ये सभी काम SPICE के लिए भरने से अपने आप हो जाते है।

6. Registration fees भरे जो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए जरूरी है।

  • डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के लिए – 2000)
  • डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नम्बर के लिए- 1000)
  • स्टाम्प ड्यूटी- 2500)
  • नोटरी फीस- 500 से 1000)
  • गवर्नमेंट फीस एंड GST – 1200 व 18% GST)
  • लॉयर/CA/व अन्य को जो काम कराते है- 3000 से 4000)

इन सभी काम को कराने में लगभग 15000 के लगभग खर्च आता है, जो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने में जरूरी होता है।

7. MoA और AoA को बनवाना

कंपनी की प्रोफाइल व कंपनी के काम, ऑब्जेक्टिव इन सब का डिटेल होता है, जो मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर को कंपनी रजिस्टर के समय भेजना जरूरी है। ये सभी काम करके मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर से प्राइवेट कंपनी के सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया जाता है, व प्रत्येक साल Director Identification Number (DIN) KYC, 6 month के अंदर CA, GST Tax आदि टाइम से भरने होते हैं।

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Types of Private Limited Company – प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कितने प्रकार के है?

Companies Act, 2013 के अनुसार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी 3 प्रकार के है।

1. Company Limited by Shares/कंपनी लिमिटेड बाई शेयर्स – इस टाइप की कंपनी में shareholders की liability उनके शेयर्स के नॉमिनल अमाउंट तक ही सिमित है, जो कंपनी के Memorandum of Association में मेंशन किया होता है। कंपनी, कंपनी के क्रेडिटर्स अपने shareholders को इससे ज्यादा पैसे देने के लिए मजबूर नहीं कर सकती और shareholders की liability उतनी ही होती है जितना उसने कंपनी में शेयर्स लेने को तैयार या राज़ी हुआ हो।

2. Company Limited by Guarantee/कंपनी लिमिटेड बाई गारंटी – इस प्रकार की कंपनी में कंपनी के मेंबर्स की liability उनके गारंटीड अमाउंट तक ही सिमित होती है जिसे Memorandum of Association (MOA) में मेंशन किया जता है। यहाँ पर भी कंपनी, कंपनी के क्रेडिटर्स अपने मेंबर्स को गारंटीड अमाउंट से ज्यादा पैसे देने के लिए प्रेशर नहीं बना सकती है। मेंबर्स की गारंटी कंपनी के wind up यानि बंद होने पर ही इस्तेमाल की जा सकती है उससे पहले नहीं।

3. Unlimited Company/ अनलिमिटेड कंपनी – अनलिमिटेड कंपनी में मेंबर्स की liability अनलिमिटेड होती है यानि उनकी liability कंपनी के पुरे डेब्ट्स और liability तक extend होती है। इसमें कंपनी के क्रेडिटर्स shareholders को अपने पैसे वसूलने के लिए sue यानि उन पर मुकदमा चला सकता है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर के लिए बनाए गए नियम 

सभी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर के लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं जिन्हें उनको फॉलो करना होता है जो कि निम्नलिखित हैं – 

  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए दो लोगों को निदेशक बनाया जाता है इसके लिए 2 सदस्यों की और दो शेयरधारकों की जरूरत पड़ती है।
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर से यह उम्मीद की जाती है कि वह हमेशा अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते हुए कंपनी के लिए योजनाएं बनाएं।
  • कुछ कॉरपोरेट मामलों में या फिर एमसीए में, 213 अधिनियम के अनुसार एक कंपनी को मैक्सिमम 15 डायरेक्टर रखने की अनुमति होती है। ‌
  • किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर कंपनी के सारे कामकाज में सबसे अहम रोल निभाते हैं इसलिए अगर वो सही नियमों का पालन करते हैं तो ऐसे में उन्हें कुछ फायदे और टैक्स में छूट भी मिल जाती है।

डायरेक्टर बनने के लिए योग्यता 

किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का डायरेक्टर बनने के लिए निम्नलिखित योग्यता होनी चाहिए – 

  • आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए तभी आप डायरेक्टर बन सकते हैं। 
  • अगर एक डायरेक्टर भारतीय है तो दूसरा डायरेक्टर विदेशी हो सकता है।
  • यदि आप विदेशी नागरिक हैं तो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर बनने के लिए आपको लगभग 182 दिन तक भारत में ही रहना होगा। 
  • इसके अलावा डायरेक्टर बनने वाले व्यक्ति का कोई अपराधिक रिकॉर्ड भी ना हो। 

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर की जिम्मेदारियां 

किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर की कुछ जिम्मेदारियां होती हैं जैसे कि – 

  • डायरेक्टर कंपनी का हेड होता है इसलिए उसे हर मामले के बारे में जानकारी होनी चाहिए। ‌
  • निदेशक का काम पूरी कंपनी के लोगों के काम के ऊपर नजर बनाए रखने का होता है। 
  • डायरेक्टर के पास कंपनी की महत्वपूर्ण शक्तियां होती हैं जिनके माध्यम से वह किसी भी व्यक्ति को कंपनी से हटाने या फिर रखने का पकड़ सकता है। 
  • उसे अपने कर्मचारियों से हर दिन की रिपोर्ट को एनालाइज करना होता है।
  • महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोर्ड की बैठकों में डायरेक्टर अपना मशवरा देते हैं।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के फायदे व नुकसान क्या है

1. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के फायदे (Advantages of Private Limited Company)

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के बहुत सारे फायदे होते हैं जो कि निम्नलिखित इस तरह से हैं – 

  • इस कंपनी के अपने legal entity होती है।
  • इन कंपनियों को startup के लिए बहुत अच्छी होती है।
  • इन कंपनियों के वेतनमान गवर्नमेंट द्वारा निर्धारित नही किये जाते न ही restricted किये जाते है।
  • इन कंपनियों के डायरेक्टर की मृत्यु पर भी ये कंपनियां वैसे ही चलती रहती है।
  • डायरेक्टर के पद छोड़ने पर शेयर आसानी से दूसरे डायरेक्टर में शेयर किया जा सकता है।
  • इन कंपनियों को चलाने के लिए सिर्फ 2 लोगो से ही शुरुआत कर सकते है।
  • इन कंपनियों के मेंबर्स को लोन आसानी से गवर्मेन्ट की permission के बिना दिया जा सकता है।

2. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नुकसान (Disadvantages of Private Limited Company)

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कुछ नुकसान भी होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं

  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के शेयर पब्लिक में शेयर नही किये जा सकते है।
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के विषय मे पब्लिक को जानकारी नही दी जाती है।
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में किसी भी तौर पर शेयरहोल्डर की संख्या 50 से अधिक नही हो सकती है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के ये कुछ मुख्य फायदे व नुकसान है, जिनको समझकर कोई भी व्यक्ति प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को खोल सकता है। बस रजिस्टर के समय सही सूझ व सही दस्तावेजों का ध्यान रख कर ये काम करके कंपनी को खोलकर अच्छा मुनाफा कमाते है, व मार्किट में अपनी बहुत अच्छी पकड़ व पहचान बनाने में सफल होते है।

FAQ – private limited company kaise khole (2023)

Q1. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने में कितना खर्च आता है?

Ans. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने में न्यूनतम पूंजी 1 लाख रुपये है।

Q2. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के लिए क्या-क्या चाहिए?

Ans. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को खोलने के लिए जरूरी दस्तावेज बनवाने होते है, जिसमे pan card, bank account, address proof, passport, ration card, voter ID, driving, लाइसेंस, आवास प्रमाण के लिए- इलेक्ट्रिसिटी बिल, बैंक स्टेटमेंट, जगह के लिए ओनर से NOC, व जगह से related एग्रीमेंट, sell deed आदि दस्तावेज प्रूफ के तौर पर होने जरूरी है।

Q3. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन्द की जा सकती है?

Ans. हां, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सभी डायरेक्टर की सहमति व नियमो के अनुसार कार्य करके बन्द भी की जा सकती है।

Q4. क्या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के लिए नियम जानना जरूरी है?

Ans. जी हां, क्योंकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को खोलने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जिनके अनुसार ही कोई व्यक्ति कंपनी खोल सकता है।

Q5. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कंपनी के प्रोस्पेक्टस को पब्लिक में जारी किया जाता है या नही?

Ans. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कंपनी के प्रोस्पेक्टस को पब्लिक में शो नही किया जाता है, जिसके अंतर्गत कंपनी से जुड़ी मुख्य चीज़े होती है।

Q6. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी मे वेतन नियम क्या है

Ans. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में वेतन नियम खुद डायरेक्टर के द्वारा बनाये जाते है। इसमें गवर्नमेंट के नियमों के अनुसार pay नही होता है। इसमें वेतन पब्लिक लिमिटेड कंपनी से कम भी हो सकता है।

Q7. कुछ famous प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम क्या है?

Ans. कुछ प्रसिद्ध प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम- Parley product private limited, Anand automotive private limited, Hindustan coca cola beverages private limited, Interglobe enterprises private limited, Lifestyle international private limited

निष्कर्ष:

दोस्तों आज के इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि भारत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे खोलें? (How to Start a Private Limited Company in India) अगर आप भारत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलना चाहते हैं तो आपके लिए हमारा यह लेख काफी मदद करेगा। हमने अपने आर्टिकल में वो सारी महत्वपूर्ण बातें बताई हैं जिनकी सहायता से आप एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सफलतापूर्वक चला सकते हैं।

यदि आपको इससे संबंधित कोई प्रश्न पूछना हो तो आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं। ये सारी जानकारी यदि अच्छी लगी हो तो इसे उन लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो भारत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के बारे में जानकारी ढूंढ रहे हैं।

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