Vertical Farming | वर्टिकल फार्मिंग क्या है कैसे करें शुरुआत
Vertical Farming – पहले जब हमलोग गाँव जाया करते थे तो चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ खेत ही खेत देखने को मिलते थे परन्तु अब हर जगह शहरीकरण हो रहा है और इस वजह से अब धीरे धीरे खेत भी कम होते जा रहे है , शहर में तो वैसे ही जगहों की कमी है इसलिए आजकल वर्टिकल फार्मिंग को काफी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
इस तकनीक के वजह से अब शहरों में भी खेती की जा रही है और वो भी बहुत ही कम जगहों पर । हालांकि अभी हर जगह पूरे तरीके से वर्टीकल फार्मिंग नही आई है पर हम यह कह सकते हैं कि आने वाले समय मे यह खेती का भविष्य हो सकता है तो चलिए आज हमलोग इस नई तकनीक यानी वर्टीकल फार्मिंग के बारे में विस्तार पूर्वक जान लेते हैं ताकि अगर आप भी वर्टीकल फार्मिंग के बारे में सोच रहे हैं तो आपको पूरी जानकारी प्राप्त हो सके।
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वर्टिकल फार्मिंग क्या है ( What Is Vertical Farming )
वर्टिकल फार्मिंग जिसे हमलोग खड़ी खेती भी कह सकते हैं इसमें सीमित जगहों पर खेती की जाती है। इसमें एक बहु– सतही ढांचा तैयार किया जाता है जिसमे नीचे की ओर पानी के टैंकर रख दिये जाते हैं और टैंकों के ऊपर छोटे छोटे पौधों के गमले रखे जाते हैं। इसमें LED बल्ब के मदद से कृतिम प्रकाश बनाया जाता है और पोषक तत्वों से मिले हुए पानी को उचित मात्रा में पौधों पर डाला जाता है जिससे पौधें तेजी से बढ़ते हैं।
वर्टीकल फार्मिंग में खेती के लिए मिट्टी की जरूरत नही होती है और पानी की भी बचत होती है। वर्टीकल फार्मिंग करने से 90% तक पानी की बचत होती है। ज्यादातर इनमें बेल और छोटे पौधों वाली फसलों जैसे टमाटर, लोकी, मिर्च, खीरा , धनिया और पत्ते वाली सब्जियां लगाए जाते हैं। शहरी क्षेत्रों में इमारतों के कुछ हिस्सों , घर की छतों, बॉलकोनी आदि का उपयोग कर छोटे छोटे फसल उगाने के लिए वर्टीकल फार्मिंग किये जाते हैं इसलिए इसे शहरी खेती भी कहा जाता है।
वर्टिकल फार्मिंग में एरोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और हाइड्रोपोनिक्स जैसे माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है। वर्टीकल फार्मिंग की खासियत यह है कि इसमें रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल नही किया जाता है जिससे हमलोगों को पोषण से भरी फसलें मिलती है।
एरोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और हाइड्रोपोनिक्स तकनीक क्या है
वर्टीकल फार्मिंग में कुछ तकनीकों के माध्यम से बिना मिट्टी के जैविक फसल उगाए जाते है । इसमें कम जगहों पर कम पानी के इस्तेमाल से फसलें उगाई जाती है। इसके साथ ही साथ रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का भी इस्तेमाल नही किया जाता है जिससे प्राप्त फसलें पूरी तरह से पोषण से भरपूर होती है।
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एरोपोनिक्स तकनीक ( Aeroponics )
आमतौर पर पौधों की जड़ो पर मिट्टी रखी जाती है परंतु ऐरोपोनिक्स में पौधों की जड़ों पर मिट्टी की जगह पर नारियल के रेशे , कोको पीट, या बजरी आदि का इस्तेमाल होता है। ऐरोपोनिक में पौधों की जड़ों पर मिश्रित पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है। इसकी मदद से तनों की कोशिकाओं का विकास होता है। इस तकनीक की मदद से पोषक तत्वों से भरपूर फसल प्राप्त किया जाता है और पानी की भी बचत होती है।
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एक्वापोनिक्स तकनीक ( Aquaponics )
इस तकनीक में छोटी सी जगह पर अधिक पैदावार की जाती है। इस तकनीक में पानी के टैंकों या छोटे तालाबों को तैयार किया जाते हैं और उसमें मछलियाँ डाल दी जाती है। मछलियों के मल से पानी में अमोनिया की वृद्धि होती है। अब इस पानी को तैयार किये गए टैंक में डाल दिया जाता है। इस तकनीक में पौधों को मिट्टी के जगह पर पानी से पोषक तत्व प्राप्त होता है। इस तकनीक से पानी की बचत भी होती है। इस तकनीक के इस्तेमाल से कम पानी वाले जगहों पर भी खेती की जा सकती है।
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हाइड्रोपोनिक्स तकनीक ( Hydroponic )
इस तकनीक में पानी मे पोषक तत्वों का सही घोल बनाया जाता है । इसमें पौधों की जड़े पोषक तत्वों से भरे पानी मे जलमग्न रहते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल कर इंडोर में ही कई तरह की साग सब्जियां उगाई जा सकती है। इसमें रासायनिक प्रदाथो और कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल नही किया जाता है।
वर्टीकल फार्मिंग से होने वाले लाभ ( Vertical Farming Benefits)
आजकल जगहों की कमी के वजह से वर्टीकल फार्मिंग को बहुत ज्यादा बढ़ावा मिल रहा है। पहले वर्टीकल फार्मिंग इजराइल , चीन, सिंगापुर और अमेरिका जैसे देशों में होता था परन्तु अब इस तकनीक का धीरे धीरे विस्तार होता चला जा रहा है। वर्टीकल फार्मिंग के अनेकों लाभ मिलते जिसके बारे में आगे हम आपको बताने जा रहे हैं।
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सीमित जगह पर खेती
Vertical Farming का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप कम जगह पर उत्पादन कर सकते है। शहरी क्षेत्रों में वर्टीकल फार्मिंग के द्वारा घर की छतों, बॉलकोनी या इमारतों के कुछ हिस्सों पर खेती की जाती है जिसे कम जगह का इस्तेमाल होता है। आजकल की बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के वजह से होती जगह की कमी की समस्या में वर्टीकल फार्मिंग एक अच्छा विकल्प है। जैसे नेचुरल खेती के लिए बड़ी और खुली जमीन की जरूरत पड़ती है परंतु वर्टीकल फार्मिंग में ऐसा नही होता है । इसमें कम जगह पर फसलों का उत्पादन किया जाता है।
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पानी और मिट्टी की बचत
साधारणतयः खेती करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है परंतु वर्टीकल फार्मिंग से पानी की 90% तक बचत होती है। वर्टीकल फार्मिंग की खासियत यही है कि पानी का बहुत ही कम इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही साथ वर्टीकल फार्मिंग में मिट्टी की भी जरूरत नही पड़ती है। इस तकनीक में Vertical Farming के द्वारा ऐरोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और हाइड्रोपोनिक्स माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है साथ ही साथ मिट्टी के जगह पर नारियल के रेशे , पीट काई जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।
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रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल नही होता है
आमतौर पर किसान खेती करने के लिए रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करते है ताकि फसलों को कीड़ो से बचाया जा सके जो हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है और कई तरह की बीमारियों के होने का डर भी रहता है परंतु Vertical Farming में ऐसा नही होता है। इस तकनीक में रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल नही होता है जिससे हमें पूरी तरह से पोषक तत्वों से भरपूर फसल की प्राप्ति होती है जो हमारे लिए स्वस्थ्यवर्धक होता है। इससे प्राप्त फसलें पूरी तरह से आर्गेनिक होते हैं।
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प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा
परंपरागत तरीके से खेती करने में प्राकृतिक आपदाओं का भी सामना करना पड़ता है जैसे कभी कभी ज्यादा बारिश और धूप से फसलें खराब भी हो जाया करती है लेकिन Vertical Farming में इस तरह का कोई नुकसान नही होता है। वर्टीकल फार्मिंग में बंद कमरे में LED बल्ब की सहायता से कृत्रिम प्रकाश और पर्यावरण तैयार किया जाता है। अतः फसलों को मौसम की मार नही झेलनी पड़ती है।
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मौसम के प्रतिकूल जगहों पर भी खेती की सुविधा
जैसा कि हम सभी जानते है के खेती के लिए योग्य जमीन की आवश्यकता पड़ती है कभी भी बंजर , बर्फीले जगह या रेगिस्तान पर खेती नही की जा सकती हैं जिस वजह से इन इलाकों में रहने वाले लोगों को कई तरह के साग सब्जियों का आभाव रहता है अथवा दूर दराज के इलाकों से उन्हें मंगवाना पड़ता है । वर्टीकल फार्मिंग के जरिये अब हर जगह खेती की जा सकती है जिससे जरूरतनुसार फसलों का उत्पादन अब हर जगह किया जा रहा है ।
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किसानों को लाभ
साधारणतः खेती करने के लिए किसानों को बड़ी जमीन की आवश्यकता पड़ती है इसके अलावा मौसमी कारणों से खेती करने में मुश्किलें भी आती रहती हैं। खेती के लिए ज्यादा मजदूरों की भी आवश्यकता पड़ती है । इसमें किसानों को ज्यादा समय और मेहनत दोनों देना पड़ता है इसके अलावा फसलों में नुकसान भी उठाना पड़ता है।
Vertical Farming से अब किसान कम समय में ज्यादा फसल उगा सकते हैं जिससे उनके समय की बचत होती है और साथ ही साथ कई तरह के फसलों का भी उत्पादन किया जाता है अतः वर्टीकल फार्मिंग किसानों के लिए काफी लाभदायक होता है। वर्टीकल फार्मिंग से किसानों की आय कई गुणा बढ़ जायेगी।
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छोटे फसलों वाले पौधों से कमाई
परंपरागत खेती में बारिश की समस्या के कारण बेल वाली फसलों का उत्पादन कम किया जाता है क्योंकि बारिश से फसलों के खराब होने की आशंका रहती है । वर्टीकल फार्मिंग से बेल वाली फसलें जैसे घीया, टमाटर, खीरा, लौकी, मिर्च ,धनिया और पत्तेदार सब्जियां आदि की खेती बहुत ज्यादा की जाती है। अतः किसानों को छोटे फसलों वाले पौधों से अच्छी कमाई होती है।
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पूरे साल उत्पादन
कुछ मौसमी सब्जियां और फल सिर्फ अपने तय मौसम में ही होते है परंतु अब वर्टीकल फार्मिंग के जरिये पूरे साल उन फसलों का उत्पादन किया जा सकता है । वर्टीकल फार्मिंग में इंडोर फसल उगाई जाती है अतः फसल मौसम और जलवायु पर निर्भर नही होता है।
भारत में वर्टीकल फार्मिंग का भविष्य
वर्टीकल फार्मिंग की शुरुआत इजरायल में की गई थी और अब इस तकनीक का काफी विस्तार हो चुका है। चीन, सिंगापुर, अमेरिका जैसे देश भी अब वर्टीकल फार्मिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं और अब भारत भी उनमें से एक है। महाराष्ट्र की कंपनी A S AGRI and AQUA LLP में ऐसा ही एक प्रोजेक्ट चल रहा है जहां हल्दी की खेती की जा रही है। भारत में वर्टीकल फार्मिंग साल 2019 में शुरू की गई थी इस तकनीक को सुलभ करने के लिए अभी काम चल रहा है। अब भी भारत में किसानों को वर्टीकल फार्मिंग के बारे में जागरूक करने की जरूरत है।
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