भारत में सोलर बिजनेस कैसे शुरू करें | How To Start a Solar Panel business In Hindi
आज वर्तमान में हर फील्ड में इतना विकास हो गया कि प्रत्येक घरों में कूलर, फ्रिज़, टी वी, बल्ब, फैन, व सभी बिजली व बिजली से चलने वाली चीज़े ने अपना घर बना लिया है, उन्हें चलाने के बिजली की जरूरत तो पड़ेगी ही, कभी कभी गांव जाते वक्त बहुत लोगो ने देखा होगा, घर के बाहर नीले रंग की चौकोर शीट जैसा, सोचा है वो क्या होता है, वही सोलर होते है, जिन्हें बहुत से लोग इलेक्ट्रिक उपकरणों के चलाने में इस्तेमाल करते है, आज हम सब इसी सोलर ऊर्जा व पैनल से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे, जिनमे मुख्यतः होंगे-
सोलर बिजनेस क्या होता है, सोलर बिजनेस कैसे शुरू कर सकते हैं,सोलर पैनल क्या होते हैं, सोलर पैनल कितने प्रकार के होते है, सोलर पैनल बनाने में क्या क्या समान लगता है, सरकारी सोलर पैनल कैसे लगाए, प्रधानमंत्री सोलर पैनल योजना क्या है, घर पर सौर ऊर्जा कैसे बनाए, सौर ऊर्जा पर कितनी सब्सिडी मिलती है, सौर ऊर्जा प्लेट कितने की आती है, सोलर सिस्टम कितने प्रकार के होते हैं, सोलर इन्वर्टर क्या होते है, सोलर इन्वर्टर की कीमत क्या होती है, सोलर बिज़नेस में मुनाफा कितना है।
Table of Contents
सोलर बिजनेस क्या है
सोलर बिजली की जरूरत और लोगो की बजट के अनुसार उन्हें ऐसी सुविधा देता है, जो उनके घरों में बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रिक उपकरणों को चलाने में मदद करता है, और ऐसी ही सुविधाओं के लिए सोलर को बेचकर मुनाफा कमाने वाले बिज़नेस को सोलर बिज़नेस कहते है।
इसमें सोलर का मलतब सूर्य की ऊर्जा को इस्तेमाल कर बिजली के रूप में प्रयोग करना है, इसमें बड़े बड़े चौकोर शीट जैसे उपकरण होते है, जो सूर्य की ऊर्जा को लेकर उसे उसे इलेक्ट्रिकल ऊर्जा में बदलने का काम करते है, जिसका प्रयोग बिजली से चलने वाले उपकरण के लिए किया जाता है।
सोलर बिजनेस कैसे शुरू कर सकते हैं
सोलर के बिज़नेस एक ऐसा बिज़नेस है जहाँ उत्पाद (product) और सेवा (service) दोनो के आधार पर बिज़नेस को शुरू कर सकते है।
इस बिज़नेस मुख्यतः निम्न रूप से शुरू कर सकते है-
सोलर एनर्जी ऑडिटिंग
इसमें एक ऑडिटर के रुप मे काम करके सोलर का बिज़नेस करने वाला व्यक्ति मुनाफा कमाता है, एक सोलर एनर्जी ऑडिटर वह होता है, जो सोलर की सुविधा देने वाले सभी उपकरणों व साधन, और स्रोतों की मार्केटिंग मतलब उनकी जानकारी बताता है, और कितनी बिजली की किसी जगह आवश्यकता है इन सभी बातों की जानकारी देना ही उसका काम होता है, अतः एक ऑडिटर के रूप में भी बहुत व्यक्ति इस सोलर बिज़नेस को शुरू कर सकते है।
सोलर पैनल इंस्टालेशन के रूप में
सोलर पैनल इंस्टालेशन के रूप बहुत सारे व्यक्ति इस बिजनेस की शुरुआत करते है, जिसमे इंस्टालेशन से जुड़ी सही जानकारी होना बहुत जरूरी होता है, ये एक टेक्निकल ज्ञान के ऊपर आधारित काम होता है, जिसकी बेहतर जानकारी ही सही इंस्टालेशन करने में मददगार होती ह, इसमें मुनाफा भी बहुत होता है।
सोलर उत्पाद (product) डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में
इस तरह के बिजनेस में सोलर सुविधाओं को देने वाले उपकरणों का डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में डिस्ट्रीब्यूट करके मुनाफा कमाया जाता है, इस काम को करने के लिए सोलर प्रोडक्ट की मैन्यूफैक्चरिंग व किसी ऐसी कंपनी को ढूंढना पड़ता है, जो उस एरिया में सोलर उपकरणों के डिस्ट्रीब्यूटर को ढूंढते हैं, उस कंपनी से डीलिंग करके आप एक डिस्ट्रीब्यूटर के तौर पर काम कर बिज़नेस कर सकते हैं।
सोलर उत्पाद (product) मैन्युफैक्चरिंग के रूप में
इस तरह की बिजनेस में इन्वेस्टमेंट बड़ी मात्रा में लगते हैं, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग के लिए सभी रॉ मैटेरियल व मशीने, जगह का होना जरूरी होता है, इस तरह के बिजनेस में मुनाफा भी बहुत ज्यादा होता है।
इसके अंतर्गत सबसे ज्यादा मैन्युफैक्चर होने वाले सेगमेंट सोलर लाइट,
सोलर गैजेट, और सोलर रिचार्जर होते हैं, जिनका मार्केट में सबसे ज्यादा डिमांड होता है, इसके अलावा भी ज्यादा मांग वाले प्रोडक्ट की मैन्यूफैक्चरिंग करके इस बिज़नेस में मुनाफा कमाया जाता है।
सोलर सिस्टम रिपेरिंग व मेंटेनेन्स
इस तरह का बिजनेस करने के लिए टेक्निकल ज्ञान का होना बहुत जरूरी होता है, इसमें सोलर उपकरणों की रिपेरिंग के काम व उन्हें मेंटेन रखने के लिए काम बहुत ज्यादा होता है, इसमें भी मुनाफा ज्यादा होता हैं।
सोलर सिस्टम एसोसिएट के रूप में
इस तरह के बिजनेस में कोई भी कंपनी अपने सभी सोलर उपकरणों की जानकारी एसोसिएटर को दी जाती है, जिसे वो दुसरो को बताकर उस उपकरण व उत्पाद की मार्केटिंग व मांग को बढ़ाने की कोशिश करता है, कंपनी का नाम बनाने में भी मदद करता है, व प्रत्येक सेल पर कमीशन के रूप में मुनाफा प्राप्त करता है,एसोसिएट बनने के लिए कंपनी से 25 से 30000 फीस देकर ट्रेनिंग आप एक अच्छे एसोसिएटर बन सकते है।
डीलरशिप लेकर बिजनेस
इस तरह के बिजनेस में आप डीलरशिप लेकर बिज़नेस को शुरू कर सकते है, बड़ी बड़ी अपने सोलर प्रोडक्ट व उपकरणों के मांग बढ़ने व अपनी कंपनी को मार्केट में पहचान बनाने के लिए डीलर्स को चाहती है, डीलर्स को इन्वेस्टमेंट ज्यादा करना पड़ता है, इसके लिए डीलर्स को मार्केटिंग व सेल्स वर्कर की जरूरत पड़ती है, मार्केटिंग में कंपनी के द्वारा ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट डीलर्स को दिया जाता है, इस तरह एक डीलर्स के तौर पर आप अपने बिज़नेस को शुरू कर सकते है।
डीलरशिप लेने के लिए इन्वेस्टमेंट पूरी तरह कंपनी के ऊपर होता है, कुछ कंपनी ऐसी है जो 50000 तक मे व कुछ 2 से 3 लाख तक डीलरशीप मे इन्वेस्टमेंट चाहती है, इसमें कुछ स्टेट व सरकार के लाइसेंस लगते है, टैनिंग भी दी जाती है, इसकी मार्किट बहुत बड़ी है अतः इसमें मुनाफा भी लाखों तक हो सकता है।
सोलर एनर्जी एरिया में बिजनेस फ्रेंचाइजी लेकर
इस तरह के बिजनेस में हम सोलर एनर्जी की फ्रेंचाइजी लेकर बिज़नेस की शुरुआत कर सकते हैं, कुछ लाइसेंस जरूरी होते है(TIN नम्बर, आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन, आर्टिकल ऑफ मेमोरेंडम, सर्टिफिकेट ऑफ कमेंसमेन्ट) इन लाइसेंस के लिए कुछ योग्यता भी जरूरी होती है, गलत जानकारी प्राप्त होने पर लाइसेंस रद्द कर देती या नही देती है।
इन सभी के अनुसार जरूरी चीज़ों जैसे लाइसेंस लेकर,आफिस, इन्वेस्टमेंट लगाकर,जरूरी मशीने लेकर, उपकरणों की डीलिंग, या मैन्युफैक्चरिंग, उससे सम्बंधित जानकारी को मार्केट तक पहुँचाकर मुनाफा कमाया जाता है।
इस तरह ये सभी रूपो में आप सोलर के बिज़नेस को शुरू कर सकते हैं।
सोलर पैनल क्या होते हैं
सोलर एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलकर बिजली के सभी उपकरणों को चलाने में मदद करने वाले उपकरण ही सोलर पैनल होते हैं, ये सोलर सेल से बने होते है, ज्यादातर सिलिकॉन सोलर सेल से बने होते हैं, जो एक सेमीकंडक्टर होते है, व इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलने में मदद करते है।
सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं
सोलर पैनल के मुख्यतः निम्न प्रकार है-
- Polycrystalline
- Monocrystalline
- Half cut cell
- Bifacial
1) Polycrystalline solar panel
- ये सबसे ज्यादा लोकप्रिय और मांग में रहने वाला सोलर पैनल है।,
- इसकी प्राइस भी बाकी सबसे कम होती है, 15 रूपए से 25 रूपए पर वॉट तक के मिल सकते है।
- Polycrystalline की efficiency बाकी सबसे कम होती हैं।
- ये धूप में सबसे अच्छा चलने वाला सोलर पैनल होता ह।
- घरों में ज्यादातर इस्तेमाल polycrystalline सोलर पैनल का किया जाता है।
- 1kw की जरूरत के लिए polycrystalline सबसे बेहतर पैनल होते है।
- एरिया की कमी न होने पर polycrystalline सबसे बेहतर पैनल है।
2) Monocrystalline सोलर पैनल
- ये पैनल polycrystalline सोलर पैनल से ज्यादा efficiency वाले होते हैं।
- ये पैनल polycrystalline सोलर पैनल से थोड़ा ज्यादा प्राइस के होते है।
- ये पैनल घरों से ज्यादा बिजली के इस्तेमाल होने पर लगाये जाते है
- ये पैनल polycrystalline से ज्यादा बड़े पावर प्लांट के लिए इस्तेमाल किये जाते है।
- 1 kw से ज्यादा के जरूरत वाले प्लांट में monocrystalline सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- 25 से 30000 में 1 kw का पैनल खरीद सकते है।
- ये पैनल polycrystalline से कम एरिया लेते है।
- ये पैनल polycrystalline पैनल से ज्यादा महँगे होंते है।
- इससे कम जगह में ज्यादा पावर जेनेरेट कर सकते है।
3) Half-cut सोलर पैनल
- ये भी एक तरह से monocrystalline ही है, लेकिन इसमें सेल हाफ कट होते है।
- ये बाकी monocrystalline व polycrystalline से ज्यादा पावर जेनेरेट करते है।
- ये बाकी दोनों से ज्यादा efficiency वाले होते है।
- ये ज्यादा kw के लिए इस्तेमाल किये जाते है।
- ये पैनल बाकी दोनों से भी कम जगह लेते है।
- इनमे temperature की प्रॉब्लम बाकी दोनों से कम होती है।
- ये बाकी दोनों पैनल से महँगे होते है।
- इसके अंदर 72 cells की जगह 144 cells होती है, जिससे इसका आंतरिक प्रतिरोध (resistance ) कम हो जाता है, व temperature को बाकी दोनों की तुलना में सही रखता है, और पावर की लॉस कम होती है।
4) Bifacial सोलर पैनल
- ये पैनल बाकी तीनो की तुलना में कम जगह लेते है।
- इसकी efficiency बाकी से ज्यादा होती हैं।
- ये बड़े बड़े प्लांट के लिए इस्तेमाल किये जाते है।
- ये बाकी तीनो में सबसे महंगे होते हैं।
- तीनो में सबसे कम एरिया में ये पैनल लग जाते है।
- बाकी से ज्यादा पावर जेनेरेट करते हैं।
आज वर्तमान में यही 4 सोलर पैनल लोकप्रिय व मांग में है।
इनके अलावा कुछ निम्न और भी होते हैं-
- String ribbon solar cells
- Thin film solar panels
- Building integrated Photovoltaics
सोलर पैनल बनाने में क्या क्या समान लगता है
किसी भी उपकरण को बनाने में उसमें लगने वाले मैटेरियल का होना बहुत जरूरी है, जो उसे एक पूरी बॉडी देने और बेहतर उपकरण बनाने में मदद करते है।
सोलर पैनल में लगने वाले सामान निम्न है-
- सोलर सेल्स
- कार्डबोर्ड (बेस के काम के लिए)
- Templed ग्लास (सोलर सेल्स को डैमेज से बचाने के लिए)
- सोलर सेल्स को जोड़ने वाली क्लिफ (bus bar जो चांदी के तार हिट है, क्लिफ के रूप में इनको सेल्स को जोड़ने में इस्तेमाल करते हैं)
- एल्युमीनियम फ्रेम (जंग से बचाने के लिए)
- Junction बॉक्स
- DC वायर MC 4 कनेक्टर के साथ अच्छी क्वालिटी के (स्पार्किंग के चांस को कम करने के लिए)
- डायोड (करंट को एक साइड ही भेजने के लिए, जिससे अंदर सेल्स सही रहे)
- Junction बॉक्स हमेशा IP 67 या 68 का इस्तेमाल ज्यादा अच्छा होता है, जो पैनल को धूल पानी सबसे बचाता है।
- EVA शीट (पैनल को नमी से बचाने के लिए)
- PVC शीट (बैक साइड से मजबूती देने के लिए)
- ग्लू (सीलेंट- असेम्बली के काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है)
ये सभी सामान एक सोलर पैनल बनाने के लिए इस्तेमाल किये जाते है।
सरकारी सोलर पैनल कैसे लगाए
आज वर्तमान में बिजली की खपत को कम करने और सोलर पैनल की पहुँच सब तक पहुचाने के लिए सरकारी सोलर पैनल भी लगाए जाते है, जिन्हें लगाने के तरीके निम्न है-
- आवेदन के लिए सबसे पहले ओफ्फिशल वेबसाइट पर जाए, जो नीचे दिखाई जा रही है।
- वेबसाइट में जाकर solar rooftop calculator पर क्लिक करे, और फॉर्म को अपने अनुसार भरे और कैलकुलेट पर क्लिक करे।
- सारे डिटेल्स आपके सामने आ जाएंगे, जिसमे सबसे नीचे आये EMI calculation में जाकर EMI कैलकुलेट करे, जिसमे आपको हर महीने कितना पैसा देना पड़ेगा ये बताया जाएगा।
- इसके बाद अपने घर के सारे बिजली वाले उपकरण के कितने वाट लगते हैं, इसका कैलकुलेशन कर ले, जिसमे google की मदद ली जा सकती है।
- इंटरेस्ट इंस्टालेशन पर क्लिक करे, फॉर्म को भरे।
- सबमिट कर दे जिसके बाद कोड आएगा, उसे नोट कर ले।
- गवर्मेंट की इस सोलर पैनल वालो की ही तरफ से आपको सारी डिटेल्स लेने और सोलर पैनल इंस्टालेशन के लिए संपर्क किया जाएगा।
- सोलर पैनल आपके घर पर इनस्टॉल कर दिया जाएगा।
ये पूरा पद सरकारी सोलर पैनल के लिए उनकी मदद करेगा जो भी लोग सोलर पैनल लगवाने की इच्छा रखते है।
प्रधानमंत्री सोलर पैनल योजना क्या है
सरकार की तरफ से किसानों को दी जाने वाली ऐसी सुविधा जिसमे उनके सिंचाई की जरूरतों में इस्तेमाल होने वाले बिजली के सभी उपकरणों की जगह सोलर पंप व सोलर पैनल को लगवाने की सुविधा दी जा रही है, जिसका इस्तेमाल कर बिजली की खपत व ईंधन की खर्च से किसानों को बचाया जा सकता हैं।
ये योजनायें कुछ फेज में चल रही, जिसमे पहले सिचाई के लिए सोलर पंप की सुविधा दी जाएगी, जिससे किसानों को सिंचाई में आसानी हो।
सरकार द्वारा चलाई गई योजना-
1) कुसुम योजना
- ये योजना 2021 में लायी गयी, जिसका उद्देश्य किसानों को बिजली की खपत और ईंधन के खर्च को खत्म करना है।
- इसके अंतर्गत 17.5 लाख सोलर पम्प किसानों को देने के प्लान है, जिससे वो अपनी सिचाई सम्बंधित जरूरत को पूरा कर सके।
- इस योजना के अनुसार 45000 तक का लोन की भी सुविधा देने का प्लान है।
- कुसुम योजना के लिए योग्यता
- भारत का किसान हो।
- बैंक एकाउंट व आधार होना जरूरी है।
- किसान के अपने जमीन के कागज़ात होना जरूरी है।
कुसुम योजना में जरूरी दस्तावेज
- आधार कार्ड
- बैंक एकाउंट
- इनकम सर्टिफिकेट
- Address प्रूफ
- मोबाइल नम्बर
- पासपोर्ट साइज फ़ोटो
योजना के फायदे
- 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
- और ये सब्सिडी किसानों के बैंक एकाउंट में आएगी।
- बंजर भूमि पर सोलर पैनल की व्यवस्था।
- सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर, बिजली की खपत कम करना।
इस तरह कई योजनायें सरकार व प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जाती है, जिनका उद्देश्य देश मे बिजली की खपत, व खर्च को कम करना है।
घर पर सौर ऊर्जा कैसे बनाए,
घर पर सौर ऊर्जा बनाने के निम्न पद है-
- सोलर ऊर्जा के लिए सभी जरूरी सामान जैसे सोलर सेल, फ्लक्स पेन, डायोड, कॉपर टैब, सोल्डर गन आदि खरीद ले।
- सबसे पहले सोलर क्लिफ या सिल्वर क्लिफ या कॉपर टैब को छोटे छोटे टुकड़ों में बात ले।
- सोलर सेल की सिल्वर क्लिफ को rusin flux pen से मार्क कीजिये।
- सोलर क्लिफ को सोलर सेल से सोल्डर गन की मदद से जोड़े।
- सोलर सेल को उल्टा कर rusin flux pen से उसकी सिल्वर टिप
- को मार्क करे।
- अब सोलर सेल की नेगेटिव सिल्वर टिप को पॉजिटिव सिल्वर टिप से सोल्डर गन की मदद से जोड़े।
- दो स्ट्रिप तैयार कर इन सोलर सेल की स्ट्रिप को इपोक्सी बोर्ड में सेटिंग कर दीजिए।
- पॉजिटिव व नेगेटिव टिप सोलर पैनल के आउटपुट है।
- ऊपर से इन स्ट्रिप के टिप को बोर्ड के छेद से पीछे ले जाकर सोल्डर गन की मदद से पीछे लगा दे।
- नीचे की दो पॉजिटिव व नेगेटिव स्ट्रिप को जोड़ दीजिए।
- सोलर ऊर्जा के लिए पैनल तैयार।
इस प्रकार सोलर ऊर्जा घर पर तैयार कर ली जाती है, जिसका उपयोग हम मोबाइल के चार्जर ऐसे ही अन्य बिजली की छोटी जरूरत पूरी कर सकते है।
सौर ऊर्जा पर कितनी सब्सिडी मिलती है
सौर ऊर्जा के लिए सब्सिडी हमेशा से घटती बढ़ती रहती है, आज वर्तमान में नई अपडेट के अनुसार कुसुम योजना 2021 में आई है जिसके अंतर्गत सब्सिडी या अनुदान देने की भी योजना है जिसके अंतर्गत 60 प्रतिशत सरकार की तरफ से सब्सिडी होंगी, 30 प्रतिशत लोन जो सरकार दिलाएगी, व बाद में उसे किसान को भरना पड़ेगा और 10 प्रतिशत किसानों को कनेक्शन लेते वक्त भरना पड़ेगा।
नई अपडेट के आधार पर 60% सब्सिडी किसानों को सोलर पैनल के इंस्टालेशन में दी जाएगी।
सब्सिडी- 60%
लोन-30% जो सरकार दिलाएगी
कनेक्शन में किसानो द्वारा देना होगा-10%
सौर ऊर्जा प्लेट कितने की आती है
सौर ऊर्जा प्लेट की मांग लोग अपने बजट और जरूरत के आधर पर करते है,
इन प्लेटो की कीमत / वाट के हिसाब से होती हैं, व छोटा पैनल व प्लेट महँगे होंगे, बड़े प्लेट सस्ते होंगे।
जैसे 100 वाट की प्लेट या पैनल लेनी हो, व एक वाट की कीमत 40 रुपये हो तो 4000 की प्लेट मिलेगी।
100 वाट की सौर ऊर्जा प्लेट की कीमत कितनी है?
100 वॉट की सोलर प्लेट व पैनल की कीमत मार्केट में 3200 रुपये है, ये कीमत पर वॉट के अनुसार होती है, इसका मतलब एक वॉट की 32 रुपये हैं।
250 वॉट का सोलर पैनल की कीमत कितनी है?
250 वॉट के सोलर पैनल की मार्केट में कीमत लगभग 7000 के करीब है।
(अगर 100 वॉट के लिए / वाट प्राइस 32 तो उस हिसाब से 250 वॉट के पैनल की प्राइस 7000 के करीब पड़ेगी।)
5kw सोलर पैनल की कीमत कितनी है?
1kw सोलर पैनल की कीमत लगभग 22000 से 24000 के बीच पड़ेगी, तो उस हिसाब से 5kw सोलर पैनल की कीमत लगभग 100,000 से 130000 के करीब पड़ेगी, व पूरे सोलर सिस्टम की कीमत और ज्यादा तक जाएगी।
3 HP सोलर पंप की कीमत कितनी है?
मार्केट के 3 HP सोलर पम्प की कीमत 195000 के करीब हैं, जिसे किसानों द्वारा लेकर सिचाई से सम्बंधित बिजली पर खर्च व खपत करने हेतु इस्तेमाल में लाया जाता है।
सोलर सिस्टम कितने प्रकार के होते है
सोलर सिस्टम में सूर्य की एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलकर उसे बिजली से चलने वाले उपकरण को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ये मुख्यतः निम्न प्रकार के होते है-
ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम
ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम
हाइब्रिड सोलर सिस्टम
1) ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम
- ये सोलर सिस्टम सबसे सस्ते सोलर सिस्टम होते है।
- ये सोलर सिस्टम हमारे घरों में आने वाली बिजली से जुड़ी हुई होती है
- इस तरह के सोलर सिस्टम में सोलर से बनाने वाली बिजली को पावर ग्रिड में भेजकर उसे बिजली के उपकरण जो घरों में है, उनतक पहुँचाया जा सकता है।
- इसमें कोई बैटरी का सिस्टम नही होता है।
- ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम का इंस्टालेशन बहुत आसान होता है, जिससे आसानी से इस घरों में इंस्टाल किया जा सकता हैं।
- ये सिस्टम तब तक ही काम करता है, जबतक बिजली की सप्लाई घर में आती है, सप्लाई कटते ही पूरा ये सिस्टम बन्द हो जाता है।
2) ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम
- इस तरह के सोलर सिस्टम में अगर सोलर सिस्टम एक्स्ट्रा पावर दे रहा है, तो एक्स्ट्रा बिजली या पावर ग्रिड में चली जाती है, जो आवश्यकता होने पर इस्तेमाल हो जाती है।
- ये सिस्टम सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला सिस्टम होता है
- ये सिस्टम बिजली के कट की परेशानी को खत्म करने के लिए अच्छा सिस्टम है।
- ये बैटरी वाला सिस्टम होता है।
- ये सिस्टम ऑन ग्रिड सिस्टम से महंगा होता हैं।
- इसमें एक्स्ट्रा बैटरी पावर ग्रिड में चली जाती है
- इसमें बैटरी को मेंटेन रखना पड़ता हैं।
3) हाइब्रिड सोलर सिस्टम
- ये सोलर सिस्टम सबसे ज्यादा एडवांस प्रकार का सिस्टम है।
- ये सिस्टम दोनों सिस्टम का मिक्सअप होता हैं।
- ये सिस्टम दोनों सिस्टम से ज्यादा महंगा होता है।
- ये सिस्टम हर जगह अभी मार्केट में नही आया है, क्योंकि हर एरिया में महँगे होने के कारण इसकी मांग नही है।
- हाइब्रिड सोलर सिस्टम में बिजली के उपकरण को चलाने के लिए बैटरी की मदद से, पावर ग्रिड से, सोलर पैनल तीनो तरह अलग अलग सिचुएशन में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इसमें एक्स्ट्रा बिजली पावर ग्रिड को भेज दी जाती है, पावर ग्रिड में भेजी जाने वाली बिजली एक नेट मीटर से होकर जाती हैं, जिससे कितनी बिजली पावर ग्रिड में गयी इसका पता लगता रहता है।
- इस सोलर सिस्टम की मदद से हम बिजली का बिल 0 तक कर सकते है।
- ये सबसे अच्छा बिजली की खपत को कम करने वाला सिस्टम हित है।
सोलर इन्वर्टर क्या होता है
सोलर इन्वर्टर सूर्य की एनर्जी से बैटरी को चार्ज करके घरों के उपकरण को चलाने में मदद करते है, इस तरह के इन्वर्टर के साथ सोकर पनवेल को जोड़ा जाता है, जिससे पैनल सूर्य की एनर्जी को लेते हुए उसे इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देते हैं, जिसका इस्तेमाल घरों के बिजली के उपकरण में किया जाता है।
अगर सोलर पैनल पर सूर्य की किरणें या एनर्जी नही मिल रही तब ये घर की बिजली की सप्लाई से बैटरी को चार्ज कर बिजली के खर्च को कम कर सकता है।
ये इन्वर्टर ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम पर काम करता है।
इसमें निम्न पार्ट्स होते है-
- कनवर्टर
- चार्जर
- इन्वर्टर
- कंट्रोलर (दिन में सोलर पैनल ज्यादा पावर बैटरी को देगी, रात में कम , तो इस वजह से बैटरी पर इफ़ेक्ट होने के चांस रहते है, तो पावर कंट्रोल करने का काम सोलर इनवर्टर में कंट्रोलर करता है।)
- ब्लोकर (जो बैटरी से पावर की जाने से रोकता है, जब सोलर पैनल से बैटरी चार्ज नही होती, या रात में)
सोलर इन्वर्टर की कीमत क्या है
सोलर इन्वर्टर की बढ़ती मांग के आधार पर इसकी किम4 भी बढ़ रही है, जो लोगो के द्वारा इस्तेमाल की जा रही है।
सोलर इन्वर्टर की कीमत 3 प्रकार के सोलर सिस्टम के आधार पर है-
1) ऑन ग्रिड सोलर इनवर्टर कीमत
वाट | कीमत |
1kw(1P) | 19000 |
2kw(1P) | 25000 |
3kw(1P) | 30000 |
5kw(1P) | 45000 |
6kw(3P) | 75000 |
10kw(3P) | 90000 |
2) ऑफ ग्रिड सोलर इन्वर्टर कीमत
वॉट | क़ीमत |
1kw(1P) | 19000 |
2kw(1P) | 25000 |
3kw(1P) | 30000 |
5kw(1P) | 45000 |
6kw(3P) | 75000 |
10kw(3P) | 90000 |
3) हाइब्रिड सोलर इन्वर्टर कीमत
वॉट | कीमत |
3kw (1P) | 75000 |
5kw (1P) | 78500 |
6kw (1P) | 83500 |
10kw (1P) | 178500 |
10kw (3P) | 239000 |
ये सभी तीनो प्रकार के सोलर इन्वर्टर की कीमत है, जिसे लोग खरीदकर बिजली की खर्च में बचत कर रहे है।
सोलर बिज़नेस में मुनाफा कितना है
सोलर बिज़नेस ऐसा बिज़नेस है, जिसे 1 लाख से शुरू कर 10 लाख तक बड़े पैमाने पर इन्वेस्ट कर सकते है।
इस बिज़नेस में शुरुआत में 50000 महीने तक मुनाफा हो सकता है, व बिज़नेस बढ़ने पर बड़े पैमाने पर अगर हो रहा तो 1 लाख से 2 लाख तक का भी मुनाफा हो सकता है।
इस प्रकार ये बिज़नेस के द्वारा लोग अपने आने वाले कल को बेहतर बनाने में इस बिज़नेस को शुरू कर रहे है, और लाखों मुनाफा भी कमा रहे।
सोलर बिज़नेस से जुड़ी लगभग सभी जानकारी हिंदी में देने जी कोशिश की गई है जिससे लोग इस बिज़नेस से ज्यादा से ज्यादा जुड़कर मुनाफ़स कमाकर अपने भविष्य को बेहतर बना सके।
Thanks
अन्य पढ़े :
घर बैठे ऑनलाइन बिजनेस कैसे करें
कोल्ड स्टोरेज बिजनेस कैसे करें
घर बैठे महिलाएं कैसे करें पैकिंग का काम