मछली पालन के लिए मछलियों की प्रजातियां की जानकारी | Fish Breeds in India

मछली पालन के लिए मछलियों की प्रमुख नस्ल की जानकारीImportant Breed Of Fishes in India

मछली पालन के लिए बहुत ही जरूरी होता है की मछलियों की प्रजाति के बारे में जानकारी हासिल करना की किस प्रजाति की मछलियां पालन कर के हम ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सके वैसे तो मछलियों की कई प्रजाति भारत में पाए जाती है हमें उस मछली की प्रजाति की पालन करना है तो हमारे वातावरण में आसानी से ढल सके और जिसकी बढ़ने की छमता अच्छी हो

आज में आप लोगो को मुख्य रूप से जो मछलियों की प्रजाति लोग मछली पालन के लिए पसंद करते हैं उसके बारे में बताने जा रहा हूं मैंने आपने पिछले लेख में मछली पालन कैसे किया जाता है इसका पूरा तरीका मैं ने बताया था आज मैं आपको मछलियों के अलग अलग प्रजाति के बारे में बताने जा रहा हूं किस नस्ल की मछलियां पालन कर के अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा प्रौफिट कामा सकते हैं

मछलियों की प्रमुख नस्लें भारत में पाई जाने वाली:

1) रोहू मछली (Rohu Fish)

यह नस्ल की मछलियां भारत में बहुत ही लोकप्रिय मछलियों में से एक मानी जाती है रोहू मछली एक मीठे पानी की मछली है जो दक्षिण एशिया में नदियों और झीलों में पाई जाती है। यह बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत में एक लोकप्रिय खाद्य मछली है। मछली को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे बंगाली में रुई मछली, हिंदी में रूही मछली, मराठी और तमिल में रोहित मछली, तेलुगु और कन्नड़ में रोहू मछली और पंजाबी में रुई मछली कहा जाता है।

रोहू कार्प परिवार साइप्रिनिडे का सदस्य है। यह एक बड़ी मछली है, जिसकी अधिकतम लंबाई 1.8 मीटर (6 फीट) और अधिकतम वजन 30 किलोग्राम (66 पाउंड) है। मछली का शरीर गहरा और लम्बा होता है, इनके छोटा सिर और एक बड़ा मुँह होता है। रोहू मछली की पीठ भूरे-भूरे रंग की होती है और पंख गहरे भूरे रंग के होते हैं।

रोहू मछलियां दूसरे साल के दौरान प्रजनन के लिए रेडी हो जाती है अप्रैल-सितम्बर के समाये में यह अंडे देती है यह नस्ल की मछलियां स्वाभाविक रूप से नदियों में और बंडों में विशेष परिस्थितियों में पैदा होती है

मछली पालन के लिए यह प्रजाति की मछली उत्पादित बीज मौसमी या बारहमासी अनावश्यक तालाबों में आसानी से पाला जा सकता है यह मछलियां एक साल में 1 kilo से ज्यादा बढ़ जाती हैं

2) कतला मछलियां (Catla Fish)

कतला मछली का वैज्ञानिक नाम कतला है। यह कार्प परिवार में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण दक्षिण एशियाई मीठे पानी की मछली है। यह भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में नदियों के मूल निवासी है। यह एक बड़ी मछली है, और लंबाई में 2 मीटर और वजन में 100 किलो तक बढ़ सकती है। यह दक्षिण एशिया में एक लोकप्रिय खाद्य मछली है, और इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जाता है।

यह सब से तेजी से बढ़ने वाली मछली की नस्ल है यह मछलिया मछली पालन करने के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक माना जाता है हमारे भारत में इसे भाकुरा नाम से भी पहचाना जाता है इसका शरीर चौड़ा,सिर लम्बा और पंख काले रंग की होती है यह अपना खाना पानी के ऊपरी सतह से खाती है

कतला मछलियां मानसून के समाये प्रजनन के लिए तैयार हो जाती है यह साल में एक बार अंडे देती है और यह अपनी शरीर की वजन के हिसाब से 75000 से अधिक अंडे देती है यह मछलियां मानसून के मौसम में नदियों में और बंडों में नियंत्रण की स्थिति के तहत भी पैदा हो सकती है

इन मछलियों को आप मछली पालन के लिए साफ और गहरे पानी के टैंकों और तालाबों में आराम से पल सकते है इन मछलियों का वजन एक साल में 1 से 1.5 किलो तक बहुत ही तेज़ी से बढ़ जाता है

3) सिल्वर कार्प (Silver Carp Fish)

सिल्वर कार्प एक बड़ी, सिल्वर रंग की मीठे पानी की मछली है। यह पूर्वी एशिया का मूल निवासी है और चार फीट से अधिक लंबा हो सकता है सिल्वर कार्प मछलियां मूल रूप से दक्षिण और मध्य चीन में पाई जाने वाली नस्ल में से है मगर अब यह मछलियां हमारे भारत में भी उपलब्ध है यह मछलियां सिल्वर रंग की होती है यह अपना भोजन पानी की उपरि सतह में आकर करती है

यह पानी में उगने वाले पौधे और सड़े गले जाल तेल केक और चावल की मिश्रण खाकर आसानी से पचा लेती है यह मछलियां तालाब में अच्छे प्रजनन नहीं करती मगर इन्हें hypophysation के तकनीक से मानसून में इन्हें तालाबों में प्रजनन करवाया जाता है

यह मछलियां को चीन में परिपक्व होने में लगभग 2-4 साल लग जाता हैं, जबकि भारत में यह 2 साल के अंदर ही परिपक्व हो जाती है यह मछली में यह खास बात है की यह सब प्रजाति की मछली से पहले परिपक्व होती है और यह मई और जून के महीने में अंडे देने के लिए तैयार हो जाती है यह अपनी शरीर की वजन के हिसाब से 90,000 से 1 लाख तक अंडे देती है तालाब में पालन करने के एक साल के अंदर इनका वजन 1 से 1.5 किलो हो जाता हैं

4) कॉमन कार्प (Common carp Fish)

यह प्रजाति की मछली विशेष रूप से चीन के मूल निवासी कार्प है मगर अब यह मछलियां दुनिया भर में सबसे पालतू और खेती वाली कार्प प्रजातियां मानी जाती है यह मछलियां हमेशा अपने भोजन की तलाश में तालाब के नीचे तल को खोद देता है।

इसकी तालाब के नीचे खोदने की यह आदत तालाबों की उत्पादकता को बनाए रखने में काफी मदद करती है और इसलिए अन्य मछलियों की प्रजातियों के साथ कॉमन कार्प को तालाब में पलना बहुत ही फायदामंद होता है

यह मछलियां ज्यादा तर पानी के नीचे गहराई में रहने वाली प्रजाति है जो की सड़ी गली फल और पौधे खाकर अपना गुजारा कर लेती है मछली पालन के दौरान यह एक साल के अंदर ही 1 किलो से ज्यादा वजन इनका हो जाता है

इन मछलियों का रंग गहरा सुनहरा पीली होती है और इनकी लम्बाई 10 से 14 इंच तक होती है यह मछलियां साल में 2 बार अंडे देती है मार्च से अप्रैल और सितम्बर से अक्टूबर में अंडे देती है यह मछलियां अपने शरीर की वजन के हिसाब से 85,000 से 95,000 तक अंडे देती है मछली पालन के लिए एक एकड़ में 20 हज़ार कॉमन कार्प पाला जा सकता हैं

5) तिलापिया मछली (Tilapia Fish)

भारत में तिलापिया मछली पालन एक बहुत ही लाभदायक व्यवसाय हो सकता है। तिलपिया एक लोकप्रिय मछली प्रजाति है जिसका भारत में लोग व्यापक रूप से सेवन करते हैं। भारत में तिलापिया की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि तिलपिया एक बहुत ही स्वस्थ मछली प्रजाति है। यह प्रोटीन से भरपूर होती है और इनमे ओमेगा-3 फैटी एसिड का बहुत अच्छा स्रोत है।

भारत में तिलापिया मछली पालन एक प्रमुख उद्योग है और अनुमान है कि भारत देश में 1,000,000 से अधिक इनका पालन होता हैं। इनमें से अधिकांश फार्म आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में स्थित हैं। तिलपिया एक लोकप्रिय मछली है और अपने स्वाद और पोषण मूल्य के कारण मांग में है। तिलापिया खाने के मुख्य स्वास्थ्य लाभों में हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर के जोखिम को कम करना शामिल है।

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