मधुमक्खी पालन है लाभ का व्यवसाय कैसे शुरू करें जाने पूरी जानकारी

Honey Bee Farming in Hindi – मधुमक्खी पालन अंग्रेजी में कहें तो (Apiculture) इसे हम कृषि का हिस्सा माने तो कोई गलत नहीं होगा। भारत में पहले यह मधुमक्खी पालन का कार्य ऊंची जगह वाले राज्यों में होता था, पर अब भारत के कई राज्यों में मधुमक्खी पालन होने लगा। हो भी क्यों ना क्योंकि इसमें कम खर्च और अधिक मुनाफ़ा होता है, और इससे और भी कई फायदे है।

खाद्य पदार्थों के उद्योग अच्छे मुकाम पर है। कई खाद्य पदार्थ हमें जीवों से भी प्राप्त होते हैं जिनकी मांग हमेशा ही बनी रहती है। जैसे मधुमक्खी से प्राप्त शहद। आप भी अच्छे से जानते हैं कि हमारे शहद क्या-क्या काम आता है। शहद से कई दवाएं तैयार की जाती है। इसके अलावा सेहत को सुधारने के लिए भी शहद का उपयोग लगभग सभी घरों में किया जाता है। इतना ही नहीं कई लोग तो शहद के स्वाद के दिवाने होते हैं। इस उत्पाद की मार्केट में अच्छी खासी मांग है। ऐसे में आप शहद का प्रोडक्शन करके अपना एक बिजनेस शुरू कर सकते हैं।

मधुमक्खी का पालन आप किस तरह से कर सकते है, क्या क्या चीजों की आवश्यकता पड़ेगी, यह सब आप जानेंगे आज इस आर्टिकल में तो इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़ें।

Table of Contents

मधुमक्खी पालन का इतिहास

मधुमक्खी पालन की प्रक्रिया काफी प्राचीन समय से चल रही है, दुनिया का पहला मीठा चखने वाला पदार्थ शहद ही था। हमारे पूर्वज जो पहले गुफाओं और जंगलों में रहते थे, तब से शहद का चलन चल रहा है। पुराने समय में अच्छी तरह से ज्यादा मात्रा में शहद नहीं प्राप्त कर सकते थे। केवल पेड़ों पर लगी शहद को ही प्राप्त कर सकते थे, आज भी कई जगह पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

पुरानी तकनीक में मधुमक्खियों को छत्ता छोड़ने का इंतज़ार करते है, या फिर धुएं से उनको उड़ाते है, फिर छत्ते को निचोड़ के या फिर आग में गर्म करके शहद निकाला जाता है, और बाद में उसे कपड़े में छान लेते है। इस तकनीक से शहद तो मिल जाती है, पर उसमें धूल मिट्टी मिल जाती है साफ शहद नहीं मिल पाती, और बाजार में उसको दाम भी अच्छा नहीं मिल पाता, एक और नुकसान यह भी होता है कि वो मधुमक्खियां हमेशा के लिए चली जाती है, और उसी जगह वापस छत्ता नहीं बनाती। तो कैसे करें ? आधुनिक तरीके से मधुमक्खी पालन, यह हम इस आर्टिकल में आगे जानेंगे।

मधुमक्खी के एक छत्ते में कितनी प्रकार की मक्खियां होती हैं?

मधुमक्खी के एक छत्ते में मुख्य रूप से तीन प्रकार की मक्खियां होती हैं जिन्हें एक डिब्बे में रखा जाता है 1 रानी मधुमक्खी जो अंडे देती है, नर मधुमक्खी या जिसे ड्रोन मधुमक्खी भी कहा जाता है जिनकी संख्या 2 हजार की होती है और श्रमिक मधुमक्खी होती हैं जिनकी संख्या 40 से 50 हजार तक होती है ज्यादातर काम श्रमिक मधुमक्खी के द्वारा ही किया जाता है।

जैसे कि छत्ते का निर्माण करना और छत्ते में शहद को इकट्ठा करना श्रमिक मधुमक्खी करती है रानी मधुमक्खी का आकार इन मधुमक्खियों से बड़ी होती है तथा इनका का रंग गहरा होता है। तथा इन मधुमक्खियों का काम फूलों से रस को लेकर और छत्ते में इकट्ठा करके फिर शहद का निर्माण करना होता है और मधुमक्खियां परागण में मुख्य भूमिका निभाती है।

मधुमक्खियों के प्रकार (Types of Honey Bee)

भारत में मुख्यतह पांच प्रकार की मधुमक्खियां व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल की जाती है।

1. एपिस सेरेना इण्डिका (Apis cerana indica)

इंडियन हाइव बी यह एक बार में एक से दो किलो तक शहद बनाती है, इससे हम एक साल में 10 से 15 तक शहद प्राप्त कर सकते है। इस मधुमक्खी को सतकोचवा मधुमक्खी भी कहा जाता है, इसका कारण यह है क्योंकि यह पेड़ पर या दीवार पर एक के बाद एक ऐसे सात छत्ते एकसाथ बनाती है। इसे हम पेटियों में भी पाल सकते है।

2. एपिस फ्लोरिया (Apis florea)

ड्वार्फ बी इस प्रजाति की मधुमक्खी से एक बार में 250 से लेकर करीब 1 किलो तक शहद प्राप्त होती है। यह छोटी मधुमक्खियां होती है जो छोटे छत्ते बनाती है, इसके छत्ते आमतौर पर पेड़ों से लटकते हुए दिखाई दे जाते है।

3. एपिस डोरसॅटा (Apis dorsata)

रॉक बी ये मधुमक्खियों में सबसे प्रसिद्ध प्रजाति है, और सबसे ज्यादा शहद भी इसी प्रजाति की मधुमक्खियां देती है। यह बहुत खतरनाक होती है, इसलिए इनका पालन नहीं हो सकता। इनका शहद जंगल से लिया जाता है। बड़े बड़े पेड़ों पर बहुत बड़े बड़े छत्ते बनाती है, आपने जो पेड़ों पर बड़े बड़े छत्ते देखे है, वो सब यही बनाती है। इससे एक बार में ही करीब 30 से 50 किलो तक शहद मिल सकता है।

4. टेट्रागोनुला इरिडीपेनिस (Tetragonula iridipennis)

डामर या स्टींगलेस बी यह मधुमक्खी शहद बहुत ही अधिक कम मात्रा में देती है, इससे एक बार में एक छत्ते से केवल 100 ग्राम के लगभग ही शहद मिलता है।

5. एपिस मेलिफेरा (Apis mellifera)

यूरोपियन या इतालवी मधुमक्खी (Western honey bee) हमारे देश में इसी मधुमक्खी का पालन होता है, इसको पेटी में पाल सकते है। इसके छत्ते से एक बार में करीब 25 किलो से लेकर 40 किलो तक शहद प्राप्त कर सकते है।

यह भी पढ़े : मछली पालन का व्यवसाय कैसे शुरू करें?

मधुमक्खी पालन कैसे शुरू करें? How to Start Honey Bee Farming in India

How to Start Honey Bee Farming in India in Hindi
madhumakhi palan kaise kare

मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे पहले आपके किसी खूले स्थान का चयन करना होगा जहां आप मधुमक्खियों को सुरक्षित रख सकें। जमीन आपको आपकी मधुमक्खियों के अनुसार लेनी होगी। 150 से 200 मधुमक्खियों की पेटी रखने के लिए आपको कम से कम दो से ढाई हजार square फिट की जमीन लेनी होगी।

इसके बाद आपको ऐसी विदेशी मधुमक्खियां खरीदनी होगी जिनसे अच्छे खासे शहद का प्रोडक्शन हो सके। ये मधुमक्खियां आपको पेटी के हिसाब से मिलती है। अच्छे शहद के प्रोडक्शन के लिए आप एपिस मेलीफेरा, एपिस फ्लोरिया, एपिस इंडिका और एपिस डोरसाला आदि प्रजाति की मधुमक्खियां खरीद सकते हैं, क्योंकि इनसे आप अच्छी मात्रा में शहद प्राप्त कर पाएंगे।

मधुमक्खियां आपको प्रति पेटी चार हजार रुपये तक मिलेगी, जिनमें तीन सौ के आस-पास मधुमक्खियां होगी। अब आपको कुछ संसाधन भी जुटाने होंगे जिनमें चाकू, ड्रम, रिमूविंग मशीन, और हाथों में सुरक्षा के लिए दस्ताने आदि की व्यवस्था करनी होगी। आपको शहद निकालने की मशीन 25 हजार तक मिल जाएगी। इसके बाद कुछ सामान्य संसाधन और जुटाने होंगे जिनके बारें में आप स्वयं भी जानते ही हैं।

1. मधुमक्खी पालन के लिए जगह का चुनाव

मधुमक्खी पालन करने के लिए मुख्य चीज है जगह, सबसे पहले जगह की आवश्यकता होगी। ऐसी जगह पर मधुमक्खियों का पालन करना चाहिए, जहां का वातावरण अच्छा हो, सुखी जगह हो। आसपास अच्छे पेड़ पौधे हो, साफ पानी (प्राकृतिक या आर्टिफिशियल) भी आसपास होना चाहिए, जिससे हमको अच्छी शहद प्राप्त होगी। आसपास फसल लगी हो तो और अच्छा रहेगा मधुमक्खियों को शहद लाने के लिए ज्यादा दूरी तय नहीं करना पड़ेगा, इससे शहद की क्वालिटी भी काफी अच्छी रहेगी।

2. मधुमक्खी पालन के लिए मधुमक्खी की प्रजाति का चुनाव करें

हमारे देश में मधुमक्खियों की कई प्रजातियां मौजूद है लेकिन मधुमक्खी पालन के लिए कुछ प्रजाति की मधुमक्खियां ही पालन के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है एपिस मेलीफेरा (Apis mellifera) मधुमक्खी जिसे Western honey bee भी कहते है उनमे से एक है इन्हें आप आसानी से पाल सकते है और सब से अच्छी बात तो यह है की एपिस मेलीफेरा मधुमक्खी एक बॉक्स से साल भर में 70 से 80 किलो शहद दे सकती हैं अपने मधुमक्खी फार्म में इस प्रजाति की मधुमक्खी पालन करे क्योंकि की यह मधुमक्खियां सबसे ज्यादा सहद और अंडे देने वाली प्रजाति है इस प्रजाति की पालन करके आपको सब से ज्यादा लाभ हो सकता है

3. मधुमक्खी पालन व्यवसाय के लिए जरूरी सामग्री

मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ सामग्री आवश्यक है जो कि इस प्रकार है – मौन पेटिका, मधु निष्काशन यंत्र, स्टैंड, छीलन छुरी, छत्तादार, रानी रोक पट, खुरपी, नकाब, दस्ताने, रानी कोष्ठ रक्षण यंत्र , भोजन पात्र, धुआँकर एवं ब्रश

4. मधुमक्खी पालन की प्रक्रिया

वैसे तो मधुमक्खी पालने का सही समय नवंबर से जनवरी के बीच माना जाता है, सबसे पहले पेटियों को जगह पर रख दें, पर ध्यान रहे सारी पेटियां जमीन से कम से कम 6 इंच ऊपर रहनी चाहिए, ताकि वो मौसम की मार से बच सकें। पेटियों के अंदर जाली रहती है, जहां पर मधुमक्खियां शहद बनाती है। पेटी के अंदर आप मधुमक्खियों के लिए खाना भी रख सकते हो, यदि शहद कम मात्रा में आए तब ही, चीनी को उबाल के पेटी के अंदर रखें, इससे शहद की क्वालिटी अच्छी आएगी।

मधुमक्खी पालन के लिए प्लांट लगाने के लिए अनुमानित तौर पर 10 लाख रुपए तक ली लागत लग सकती है। इस प्लांट के माध्यम से लगभग 100 kg शहद बन कर तैयार हो सकता है।

5. शहद निकालने की प्रक्रिया

मधुमक्खी के छत्ते में से शहद कैसे निकाले? हर 5 से 6 दिन के बाद पेटियों में से शहद को निकालना है। यह फिर मधुमक्खी के छत्ते शहद से पूरी तरह भर जाएं तो आप समझ जाएं कि आपके शहद निकालने का वक्त आ गया है। कई लोग हाथों से भी शहद निकालते हैं लेकिन हमने आपको शहद निकालने की मशीन के बारें में बताया (honey extractor) नाम की मशीन जिनसे आप शहद निकाल सकते हो। उसके माध्यम से ही निकालना है, क्योंकि आपको पूरी सुरक्षा का ध्यान रखना है।

जब मधुमक्खियां पेटी में ना हो तब आपको शहद के छत्तों को चाकू से सावधानी पूर्वक निकालना होगा। उसके बाद में बहुत ही सरल प्रक्रिया है। आपको मशीन में कुछ खांचें नजर आएंगे आप उन खांचों में अच्छी तरह इन छत्तों को जमाना है, जिनमें शहद भरा हुआ है। ऐसा करने के बाद आपको मशीन ON करनी है, बड़ी आसानी से शहद निकल जाएगा और उसे ड्रम में डाला जाता है, और 24 घंटे तक एक निश्चित् तापमान पर् रखा जाता। उसके बाद वो उपयोग के लिए तेय्यार होता है वहां से फिर उसको जैसे पैक करना चाहो वैसे पैक कर सकते है

7. मधुमक्खी पालन करने के लिए सही समय

मधुमक्खी पालन करने के लिए सबसे अच्छी समय नवंबर से जनवरी के बिच होती है इससे पहले ही आप अपने मधुमक्खी फार्म में सभी चीजों की व्यवस्था करले और सही समय आने पर मधुमक्खी पालन करना शुरू कर दे इसके अलावा आप यह भी ध्यान रखे की मधुमक्खी पालन आप उस जगह में करे जहां आस पास अच्छी खासी हरियाली और फूले हो क्युकी मधुमक्खियां को शहद बनाने के लिए फूलों की अवयस्कता होती वो जितना फूल का रस पीयेगी उतना ही अधिक शहद हमें प्राप्त होगा

8. कहां से लायें मधुमक्खियां

मधुमक्खी पालन के लिए आप मधुमक्खियां उनसे ले सकते है, जो इन्हें पालने का काम करते है। वो आपको पूरी पेटी सहित मधुमक्खियां बेचते है। एक पेटी करीब 2 से 3 हजार रुपए के बीच आती है मधुमक्खियों सहित। या फिर आप कृषि विभाग केन्द्र जो कि सरकार द्वारा संचालित होते है, वहां से भी मधुमक्खियां खरीद सकते है।

9. कैसे करें मधुमक्खी के परिवार का विभाजन

मधुमक्खी पालन करते समय एक पेटी में केवल एक ही रानी मधुमक्खी होती है और केवल वही उस पेटी के अंदर अंडे देती है। यह दूसरी मधुमक्खियों के आकार में बड़ी और चमकीली होती है, यह झुंड में आसानी से पहचानी जा सकती है। ड्रोन यानी कि नर मधुमक्खी की संख्या घटती बढ़ती रहती है, इनका संख्या प्रजनन काल में बड़ जाती है। इनका मुख्य काम रानी मधुमक्खी को गर्भधारण कराना होता है।

वर्कर बी यानि कि ऐसी मधुमक्खियां जो फूलों से रस लेकर आती है, शहद बनाती है, अंडे और बच्चों की देखभाल करती है, और छत्ते भी यही बनाती है।अनुकूल मौसम में जब मधुमक्खियों का प्रजनन बड़ जाता है, उस समय एक पेटी में मधुमक्खियों की संख्या बहुत अधिक बड़ जाती है, और वो वहां अच्छे नहीं रह पाती, और बहुत सारी तो वो पेटी छोड़कर भी भाग जाती है।

ऐसे समय मधुमक्खियों का विभाजन करना होता है, जिससे वो आराम से रह पाए। विभाजन के लिए उन पेटियों के पास दूसरी नई पेटीयां रखें उनमें एक रानी मक्खी हो तो अच्छी बात है, वरना दूसरी मधुमक्खियां स्वयं रानी मधुमक्खी बना लेती है। और फिर धीरे धीरे वो नई पेटियों में चली जाएंगी।

यह भी पढ़े : कड़कनाथ मुर्गी पालन कैसे करें?

मधुमक्खी की पेटियों को एक से दूसरी जगह कैसे ले जाएं

भारत में कई मधुमक्खी पालक है, जो उन पेटियों एक से दूसरी जगह लेकर जाते है, ताकि अच्छी से अच्छी क्वालिटी की ओर ज्यादा शहद पा सकें। मौसम भी इसकी वजह हो सकता है, यदि आप भी पेटियों को एक से दूसरी जगह ले जाना चाहते है, तो ध्यान रहे छत्तों में ज्यादा शहद ना हो और अगर हो तो पहले निकल लें। जहां ले जाना है वह जगह पहले ही सुनिश्चित करलें।

पेटी का जो प्रवेश द्वार है जहां से मधुमक्खियां अंदर आती है वहां पर लोहे की जाली लगादें ताकि वो बाहर भाग ना सके। पेटियों को गाड़ी में लंबाई की दिशा में रखें और ध्यान रहे उनको कम से कम झटके लगे ताकि कोई नुकसान न पहुंच सके। गर्मी के समय स्थानांतरण करना पड़े तो पेटियों के उपर बार बार पानी छिड़कते रहें और यदि हो सके तो रात को यात्रा करें।

मधुमक्खी पालन में आने वाली समस्याएं और उसका समाधान

मधुमक्खी पालन में मुख्य समस्याएं इसलिए आ सकती है, क्योंकि मधुमक्खियां समूह में रहने वाला जीव है, और यदि किसी एक मक्खी में कोई बीमारी होती है तो वो पूरे समूह में फेल सकती है, और बहुत हानि हो सकती है, तो हमें इनको बीमारियों से बचाना होगा।

अगर किसी मक्खी में कुछ बीमारी या संक्रमण दिखे तो उसे बाकी मक्खियों से अलग कर देना चाहिए, यदि पेटी में बहुत ज्यादा संक्रमित मक्खियां हो गई है, वहां से रानी मक्खी को हटा देना चाहिए, और बहुत लंबे समय बाद जब वो ठीक हो जाए तब रानी मक्खी देना चाहिए। चिटियों से बचाने के लिए एक कटोरी पानी में केरोसिन डालके रख देना चाहिए, जिससे चीटियां पास ना जाए।

मधुमक्खी पालन करने से अन्य होने वाले लाभ

मधुमक्खी पालन में शहद से साथ साथ मोम भी मिलता है, और यह भी बाजार में बिकता है। और मधुमक्खियों के पालन से खेती में भी बहुत लाभ होता है, जब यह मक्खियां अपने छत्ते से बाहर निकलती है, और पेड़ों पोधौं से रस लेती है। फसल में परागण होता है, जिसकी वजह से बीज बनता है। यह मधुमक्खियां परागण में काफी सहायक होती है, जब यह एक फूल से दूसरे फूल पर बैठती है, तब pollen grains जो फुलों मे होता है, वो एक फुल से दुसरे फुल मे चला जाता है, यानि कि नर फूल से मादा फूल में जिससे परागण होता है, और फसल का उत्पादन कई गुना बड़ जाता है।

इसके अलावा मधुमक्खी के छत्ते से रायल जेली का उत्पादन भी किया जाता है। इस पदार्थ को मनुष्य के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। मधुमक्खी पालन से कृषक के आय में भी अच्छी खासी वृद्धि होती है। किसान को इसके माध्यम से कमाई के अन्य स्रोतों की प्राप्ति हो जाती है।

मधुमक्खी पालन के लिए Training प्रशिक्षण कहां से प्राप्त करें

अगर आप मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तथा प्रशिक्षण लेना चाहते हैं तो आप किसी जान पहचान वाले के या आपके नजदीक कोई मधुमक्खी पालन का व्यवसाय हो, तो वहां जाकर सीख लें। यदि आपके पास ऐसी व्यवस्था नहीं है, तो इसके लिए आप अपने जिला के कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क कर सकते हैं

तथा यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि आपके आसपास मधुमक्खी पालन के लिए कहां पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है या फिर आप सरकारी बागवानी विभाग में भी संपर्क कर सकते हैं वहां पर भी आपको जानकारी दी जाएगी कि आप कहां से प्रशिक्षण ले सकते हैं। मधुमक्खी पालन व्यवसाय को सरकार भी प्रोत्साहन देती है।और आप चार से पांच हजार के शुल्क में आराम से मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग कर सकते हैं। ऐसा करने के बाद आपके लिए मधुमक्खी पालन करना काफी सरल हो जाएगा।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार दुवारा वेबसाइट जारी किया गया है इस वेबसाइट के ज़रिया आप मधुमक्खी प्रशिक्षण केन्द्र का address मधुमक्खी पालन कांटेक्ट नंबर हासिल कर सकते है और मधुमक्खी पालन training यहाँ से ले सकते हैं  www.kvic.gov.in

मधुमक्खी पालन व्यवसाय में कितना खर्च आता है?

मधुमक्खी पालन व्यवसाय को शुरू करने के लिए आप छोटे स्तर पर भी शुरुआत कर सकते हैं या बड़े स्तर पर भी लेकिन अगर आप छोटे लेवल पर शुरू करते हैं तो यह आपके लिए अच्छा रहेगा क्योंकि जब छोटी छोटी चीजों को सीखेंगे और फिर अपने बिजनेस को बड़े स्तर पर ले जाएंगे क्योंकि बिना जानकारी के कोई भी बिजनेस सफल नहीं होता है इसलिए हर बिजनेस में उसकी जानकारी रखना बेहद जरूरी है

अगर आप 5 पेटी से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करते हैं तो इसके लिए लगभग आपको 20 से 25 हजार रुपए की लागत आपकी लगेगी वही आप अगर 10 पेटी से शुरू करते हैं तो 40 से 45 हजार रुपए तक लग सकते हैं। उसके बाद हर साल मधुमक्खियों की संख्या लगभग तीन गुना बड़ जाती है, यानि पहले साल जो 10 पेटियां थी, एक साल के अंदर उससे 30 से 40 पेटियां इतनी मधुमक्खियां प्राप्त हो जाती है। बाद में वो बड़ती ही जाती है।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय में लाभ (Honey Bee Farming Business Profit)

मधुमक्खी पालन व्यवसाय एक बहुत ही लाभदायक व्यवसाय है जिसे शुरू करके अच्छा प्रॉफिट कमाया जा सकता है मधुमक्खी की एक पेटी में से करीब 40 से 50 किलो शहद निकल सकती है, मतलब आप 20 पेटियों में से करीब 1000 किलो तक शहद एक बार में निकाल पाएंगे। बेचने की बात है तो बाजार में असली शहद लगभग 100 से 150 रुपए किलो आसानी से बिक जाती है। या फिर आप गांव में भी आसानी से बेच सकते है, या फिर किसी कंपनी को बेच सकते है जो पैकिंग करके ब्रांडिंग करके बेचते है।

इस तरह आप करीब 20 पेटियों में से लगभग 1 लाख से 1.5 लाख रूपए महीने कि कमाई कर सकते है। इतना ही नही हर महीने मधुमक्खियां बड़ती जाती है, जिससे हर महीने आपका मुनाफा भी बढ़ता ही जाएगा। अगर बड़े स्तर पर बिजनेस है तब उस हिसाब से अधिक लाभ होगा इसलिए इस बिजनेस में अच्छा प्रॉफिट है।

उत्पाद को कहां बेचना होगा (Where to sell Honey)

जब आप अपने शहद को अच्छी तरह से तैयार कर देते हैं, उसके बाद आपको उसे बेचना होता है। आजकल शहरों में शुद्ध शहद की कमी है, यदि आप चाहें तो अपने शहद को अच्छी पैकिंग करके शहरों में ज्यादातर बेच सकते हो। इसके अलावा आप जो भी हाॅस्पिटल होते हैं उनके मेडिकल आदि पर अपने प्रोडक्ट के लिए बात कर सकते हैं, क्योंकि मेडिकल पर भी शहद दवा के रूप में सेल होता है।

इसके अलावा आप ओनलाइन मार्केट में अपनी कम्पनी का एक स्टोर बनाकर ओनलाइन मार्केटिंग के द्वारा अपने प्रोडक्ट को कई मात्रा में बेच सकते हो। आप अपने जान पहचान वाले लोगों से सम्पर्क करके उन्हें सीधे ही शहद बेच सकते हैं। इसके साथ ही यदि कोई चाहता है कि वो आपके प्रोडक्ट को खरीदके अपनी एक कम्पनी बनाकर बेचे तो आप उससे डील कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके उत्पाद का एक पर्मानेंट ग्राहक बन

यह भी पढ़े : बकरी पालन का व्यवसाय कैसे शुरू करें?

मधुमक्खी पालन व्यवसाय के लिए सरकारी योजना

अगर आप मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में इच्छा रखते हैं तथा मधुमक्खी पालन शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए सरकार की तरफ से मदद दी जा रही है जिसमें केंद्रीय एमएसएमई विभाग के द्वारा मदद किया जाता है सरकारी योजनाएं खादी और विलेज इंडस्ट्री आयोग के तहत चलाई जाती हैं जो इस प्रकार हैं।

भारत सरकार के द्वारा हनी प्रोसेसिंग प्लांट को शुरू करने के समय मदद की जाती है 65% लागत सरकार के माध्यम से ऋण के रूप में दिया जाता है जब आप शहद उत्पादन प्रोसेसिंग प्लांट लगाते हैं। तथा सरकार की तरफ से 25% की सब्सिडी भी दी जाती है सरकरी ऋण को छोड़कर इसीलिए इसमें आपके लागत केवल 10% ही लगेगी

अगर मधुमक्खी पालन व्यवसाय मे आप का कुल खर्च 12 लाख तक का होता है जिनमें सरकार के द्वारा दिया गया ऋण 8 लाख रुपए तथा 3 लाख रुपए आपको मार्जिन प्राप्त होता है इसलिए आप 1 लाख रुपए तक खर्च करके शुरू कर सकते हैं।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय में कुछ धयान देने वाली बाते 

मधुमक्खी पालन में सफल होने के लिए मधुमक्खी पालक भाई कुछ बताओ का पूरा ख्याल रखे

1. मधुमक्खी पालन करने के लिए सही समाये का निर्णय करे आप कब करे मधुमक्खी पालन की शुरुवात यह सब कुछ सोच समझ के करे

2. मधुमक्खी पालन के लिए सही प्रजाति का चुनाव करना जरूरी होता है इसका ध्यान रखे

3. मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकलने के लिए सब से सटीक समाये का चयन करे अक्सर इसी में लोग न समझी कर बैठते है और जल्दी बजी दिखाते है शहद निकलने में और इसी करण उन्हें व्यापार में ज्यादा लाभ नहीं हो पाता

4. शहद निकालने से पहले यह बात जरूर ध्यान में रखे की मधुमक्खी के छत्ते में मधुमक्खी यह उनके अंडे नहीं हो तभी आप शहद निकाले

5. मधुमक्खी के छत्ते से बहुत ही सावधानी के साथ ही शहद निकाले अगर आपको शहद निकालने की जानकारी नहीं हैं तो आप मधुमक्खी पालक की मदद से शहद निकलवा सकते है

6. जिस जगह आप मधुमक्खी पालन कर रहे है वो जगह साफ़ और स्वच्छ होना जरूरी है क्युकी कई तरह के कीड़े मकोड़े से मधुमक्खियों को अधिक नुकसान हो सकता है

7. मधुमक्खियों को रोग से बचाने के लिए आप पानी में शक्कर मिलाकर दे इनसे मधुमक्खियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहती है

कैसे बनता है मोम

आपको बता दें कि मधुमक्खी से शहद प्राप्त होता है और इसके बाद मधु मक्खी से मोम की प्राप्ति भी होती है यह मोम काफी मूल्यवान होता है। मोम का निर्माण मधुमक्खी करती है। मधुमक्खी शहद को खाने के बाद इससे गर्मी उत्पन्न करती है और अपने ग्रंथियों से छोटे मोम के अंश बाहर निकलती है। इस प्रकार मधुमक्खी के छत्ते में मोम का निर्माण होता है।

मधुमक्खी के शहद के लाभ

● मधुमक्खी के शहद का सेवन करने से शरीर मे ऊर्जा प्राप्त होती है।
● शहद का सेवन करने से खून शुध्द होता है।
● गले के इंफेक्शन में मधुमक्खी के शहद को वरदान माना जाता है।
● एक चम्मच शहद के साथ मख्खन मिला कर खाने से कभी भी ज्वर नही होता है।
● बच्चों को रोजाना एक चम्मच शहद खिलाने से स्मरण शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है।

मधुमक्खीयों के दुश्मन

मधुमक्खी पालन में यह भी जरूरी है कि मधुमक्खीयों को उनके शत्रुओं से बचाया जाए और इसके लिए मधुमक्खी के शत्रुओं को पहचानना बहुत जरूरी है। मधुमक्खी के शत्रु इस प्रकार हैं –

● मोमी कीड़ा
● ड्रेगन फ्लाई
● मकड़ी
● गिरगिट
● बंदर
● भालू

मधुमक्खीयों को होने वाले रोग

मधुमक्खी पालन में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि किस तरह से मधुमक्खी को रोगों से बचाया जा सके और इसके लिए मधुमक्खी को होने वाले रोगों को जानना भी जरूरी है। मधुमक्खी को अमेरिकन फॉलब्रूड, यूरोपियन फॉलब्रूड, नोजेमा आदि बीमारियां होती हैं।

इनमें से नोजेमा रोग में मधुमक्खियां पेचिश के कारण मरने लगती हैं। मधुमक्खीयाँ छत्ते के अंदर ही मल एवं मूत्र को त्यागने लगती हैं और इसी कारण यह रोग अन्य मधुमक्खीयों में फैल जाता है। इस तरह के रोगों से मधुमक्खियों को बचाने के लिए निश्चित समय के अंतराल पर फार्मिक एसिड एवं सल्फर का छिड़काव किया जाता है।

FAQ – मधुमक्खी पालन के बारे में पूछे जाने वाले सवाल

Q1. मधुमक्खी पालन में कितना खर्च आता है?

Ans. मधुमक्खी पालन को शुरू करने में खर्च की बात करें तो अगर आप 10 पेटी से मधुमक्खी पालन की शुरुआत करते है तो इसमें आपका खर्च लगभग 30 से 35 हजार रुपये तक आता है

Q2. मधुमक्खी पालन करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

Ans. मधुमक्खी पालन करने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से जनवरी के बिच होती है इस समय मधुमक्खी पालन करने आपके लिए लाभदायक साबित होगा

Q3. मधुमक्खी कितने दिनों में शहद तैयार करती है?

Ans. मधुमक्खीयों को लगभग 45 दिन का समय लग जाता शहद को अच्छे से तैयार करने में

Q4. मधुमक्खी के छत्ते से एक बार में कितना शहद निकलता है?

Ans. अगर आपका छत्ता करीब 25 सेंटीमीटर लंबा और इतना ही चौड़ा है तो इससे एक बार में 300 ग्राम से लेकर 500 ग्राम तक शहद प्राप्त हो सकता है।

Q5. कौन सी मधुमक्खी का शहद अच्छा होता है?

Ans. The Forest Bee मधुमक्खी का शहद 100% शुद्ध होता है

निष्कर्ष:

तो दोस्तों ये थी आज की हमारी आर्टिकल जिसमे हमने आसान स्टेप के साथ आपको समझाया है की मधुमक्खी पालन कैसे शुरू करें? How to Start Honey Bee Farming in India यह व्यवसाय आज के समय गांव और शहर में काफी लोगों की पसंद बनता जा रहा है तथा इसमें होने वाला लाभ भी बढ़ता जा रहा है अगर अभी आप मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करते है तो उम्मीद है की आगे चलकर यह व्यवसाय और भी ज्यादा बढ़ेगा और आपका फायदा बढ़ता ही जायेगा। धन्यवाद

अन्य लेख पढ़े:

3 Comments

Leave a Reply to Dr. R.K.Singh Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *